नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने CBI डायरेक्टर या अन्य बड़े अधिकारियों के सेलेक्शन में CJI के शामिल होने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया इस सेलेक्शन पैनल में आखिर कैसे शामिल हो सकते हैं. उन्होंने भोपाल के नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी मे आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक संस्थानों को अपने कार्यक्षेत्र की सीमा में रहकर ही काम करना चाहिए. वहीं, उन्होंने ने इस तरह के मानदंडों पर पुन: विचार करने की भी बात कही.
उन्होंने आगे कहा कि ये बात काफी हैरान करती है कि हमारे जैसे देश या अन्य किसी भी लोकतंत्र में, भारत के मुख्य न्यायाधीश CBI डायरेक्टर अन्य बड़े अधिकारियों के सेलेक्शन में कैसे सम्मिलित हो सकते हैं. क्या इसके लिए भी कोई कानूनी तर्क है? दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नेशनल ज्यूडिकल एकेडमी में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान उन्होंने अपने संबोधन में ये बातें कहीं.
उपराषट्रपति अपने वक्तव्य में इस बात पर जोर देते हुए कहा कि “मैं इस बात की सराहना कर सकता हूं कि वैधानिक निर्देश इसीलिए बने हैं, क्योंकि उस समय की कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए थे, लेकिन इस पर अब फिर से विचार करने का समय है. कहा कि ये निश्चित रूप से लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता. हम भारत के सर्वेच्च न्यायालय के CJI को किसी शीर्ष स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति के पैनल में आखिर किस लिए और कैसे शामिल कर सकते हैं.”
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बता दें कि CBI डायरेक्टर की नियुक्ति दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 1946 के आर्टिकल 4-A के अंतर्गत होती है. अधिकारी की नियुक्ति 3 सदस्यीय कमेटी करती है. इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और CJI उपस्थित होते हैं. हालांकि बड़े अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चुनाव आयुक्त (CEO) की नियुक्ति की तरह थी. मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया में भी प्रधानमंत्री, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और CJI की 3 सदस्यीय कमेटी ही करती थी. हालांकि सरकार ने अब नया कानून लाकर इसमें बदलाव कर दिया है.