नई दिल्ली: ऑटो कंपनी निसान और हॉन्डा के बीच होने वाली डील अब नहीं होगी. 13 फरवरी को दोनों कंपनियों की ओर से बात आगे न बढ़ाने को लेकर निर्णय लिया गया. साल 23 के दिसंबर में निसान और हॉन्डा के बीच MOU साइन हुए थे. दोनों कंपनियों के बीच डील होने पर दोनों कंपनियों के बीच लगभग 5 लाख 21 हजार करोड़ रुपए का वैल्यू का ग्रुप बन जाता.
जानकारी के मुताबिक दोनों कंपनियों की इस डील में निसान की ओर से ही सबसे पहले पीछे हटने का पहला फैसला लिया था. निसान कंपनी ने ऐसा इस लिए किया क्योंकि होंडा चाहती कंपनी चाहती थी कि निसान उसकी सहायक कंपनी बने. इसी बात को लेकर दोनों कंपनियों के बीच मतभेद बढ़ गया और इसी की वजह से इस डील को लेकर आगे की बातचीत नहीं हो सकी. हालांकि इस डील को लेकर मित्सुबिशी मोटर्स ने विलय की इच्छा जाहिर की थी.
बता दें कि पिछले कुछ समय से कंपनियों के मुनाफे में करीब 70 प्रतिशत तक कि गिरावट हो रह थी. चीनी और अमेरिकी मार्केट में सेल्स और प्रॉफिट में गिरावट की वजह से दोनों कंपनियों को अपने वर्कफोर्स और प्रोडक्शन कैपेसिटी में कटौती करनी पड़ रही थी. वहीं, दोनों कंपनियों के साथ आने की वजह बड़े मार्केट में हिस्सेदारी का कम होना भी माना जा रहा था. वहीं, तीनों कंपनियों ने एक बयान जारी कर इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिफाइड व्हीकल के जमाने में स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के जरिए एक दूसरे का सहयोग करने की भी बात कही है.
ये भी पढ़ें- लखनऊ: शादी समारोह में घुसा था तेंदुआ, वन विभाग को रेस्क्यू करने में लगे 5 घंटे, एक वनकर्मी घायल
वहीं, निसान कंपनी ने ऐलान किया कि डील के आगे नहीं बढ़ने के बाद वो अपनी रिस्ट्रक्चरिंग प्लान पर फोकस कर रही है, जिसके तहत वो भारी संख्या में छटनी करेगी. साथ ही ग्लोबल मार्केट से भी अपने 20 प्रतिशत कैपेसिटी की कटोती करेगी. वहीं, डील टूटने के बाद निसान मोटर के शेयर में करीब 0.34 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि, हॉन्डा मोटर के शेयर 2.14 प्रतिशत बढ़त के साथ 1,434 के स्तर पर बंद हुआ है.