प्रयागराज; उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी बीते मंगलवार को महाकुंभ पहुंचे. वहां पहुंच कर उन्होंने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई. वसीम रिजवी ने कहा कि संगम स्नान करने के बाद बहुत खुशी मिल रही है. साथ ही उन्होंने सभी मुस्लिमों से सनातन धर्म अपनाने की आपील की है. वह एक संगठन तैयार कर रहे हैं. जिसमें सनातन धर्म में आने वाले लोगों की आर्थिक मदद की जाएगी. कारोबार शुरू करने में भी सहायता की जाएगी.
वसीम रिजवी बने जितेंद्र नारायण
उल्लेखनीय है कि वसीम रिजवी ने 2021 में इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया था. साथ ही अपना नाम वसीम रिजवी से बदलकर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर रख लिया था. उन्होंने बीते मंगलवार को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई थी. डुबकी लागने के बाद उन्होंने कहा कि महाकुंभ में स्नान करने के बाद मन को बहुत शांति महसूस हो रही है.
मुस्लिमों से घर वापसी की अपील
संगम में डुबकी लगाने के बाद जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आज प्रयागराज के महाकुंभ में मैंने स्नान किया, मुझे बहुत खुशी महसूस हुई. मैं इस पवित्र भूमि से पूरे देश के मुसलमानों से अनुरोध करता हूं कि वो सनातन धर्म में घर वापसी पर विचार करें. मैं अपने मित्रों के सहयोग से एक संगठन बना रहा हूं, उसके जरिए सनातन धर्म में वापसी करने वाले मुसलमान परिवारों को हर महीने तीन हजार रुपये की मदद तब तक दी जाएगी, जब तक कि वो पूरी तरह से सनातन धर्म में शिफ्ट नहीं हो जाते हैं.
इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि इस्लाम छोड़कर जो लोग सनातन में आएंगे और अपना कारोबार शुरू करना चाहेंगे, उन्हें छोटे-मोटे कारोबार से जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए आपको अपनी कट्टरपंथी और जेहादी मानसिकता से वापस निकलना पड़ेगा और अपनी खुशी से सनातन धर्म में घर वापसी करनी पड़ेगी. सनातन धर्म आपका स्वागत करता है.
पहले बने सनातनी, फिर बदली जाति
बता दें कि वसीम रिजवी ने 2021 में इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपना था. इसके बाद उन्होंने अपना नाम वसीम रिजवी से बदलकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रख लिया था. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने उन्हें सनातन धर्म ग्रहण कराया था. सनातन धर्म अपनाने के बाद उन्होंने गाजियाबाद के पास स्थित डासना मंदिर में कहा था, जब मुझे इस्लाम से निकाल ही दिया गया है, तो ये मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं.
मैंने अपने मन से सनातन धर्म चुना है, क्योंकि यह धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसके अंदर जितनी अच्छाइयां हैं, उतनी दुनिया के किसी भी धर्म में नहीं हैं.