लखनऊ: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का लंबी बीमारी की चलते आज बुधवार (12 फरवरी) को 87 साल की आयु में निधन हो गया. उन्होंने सुबह करीब 8 बजे अंतिम सांस ली. आचार्य सत्येंद्र दास को बीती 3 फरवरी को लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह पिछले कई दिनों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक का अटैक भी हुआ था, जिसके बाद उन्हें गंभीर अवस्था में एसजीपीजीआई के न्यूरोलॉजी वार्ड में भर्ती कराया गया था.
राम मंदिर के मुख्य पूजारी आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई, साल 1945 को संतकबीरनगर जिले में हुआ था. उनमें बचपन से ही अपार भक्ति की भावना थी. अपने पिता के साथ वो हमेशा अयोध्या जाया करते थे. गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता सीता की मूर्ति के प्रकट होने का दावा करने वाले अभिराम दास जी से वह काफी प्रभावित थे. तभी उन्होंने संन्यास लेकर अभिराम दास जी के आश्रम में रहने का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने साल 1958 में अपने घर का त्याग कर दिया था. सत्येंद्र दास जी ने अभिराम दास के आश्रम में ही अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक टीचर के रूप में नौकरी की.
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हालांकि उस समय वो राम जन्मभूमि पर भी आया करते थे और पूजा-पाठ किया करते थे. उस दौरान उन्हें पुजारी के रूप में करीब 100 रुपए महीने मिलते थे. साल 1992 में रामलला के पुजारी लालदास को हटाने की बात उठी थी. उस समय तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार विहिप के नेताओं और कई संतों से सत्येंद्र दास के अच्छे संबंध होने की वजह से 1 मार्च साल 1992 को उनकी की नियुक्ति मुख्य पुजारी के रूप में हो गई. उस समय वो 4 सहायक पुजारियों के साथ रामलला की पूजा-अर्चना करते थे.
6 दिसंबर सन 1992 में जब विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया जाने लगा तो सत्येंद्र दास राम लला को अपनी गोद में लेकर भागे. विवाद के बाद रामलला को टेंट में रखा गया. वहीं, 22 जनवरी साल 2024 को राम मंदिर में प्रांण प्रतिष्ठा के बाद अब रामलला मंदिर में विराजमान हो गए. जिसके बाद भी वह लगातार राम मंदिर में मुख्य पुजारी की भूमिका निभाते रहे. हालांकि बीते काफी समय से आचार्य सत्येद्र दास बीमार चल रहे थे.