नई दिल्ली: आज 11 फरवरी को जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 56वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जा रहा है. उनका निधन आज के दिन 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय में हुआ था. दीनदयाल जी को देश की राजनाीति में एक नई क्रांति लाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में एकात्म मानववाद और अंत्योदय के विचारों को लेकर कार्य किया. पंडित जी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक रहे. उन्होंने जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ संगठन के कार्य को आगे बढ़ाया. भारतीय जनसंघ आज भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना जाता है. भाजपा की आज केंद्र के साथ-साथ देश के कई राज्यों में सरकार है.
दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म
दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था. उनका जीवन संघर्ष और सेवा की मिसाल है. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीकर में प्राप्त की, जहां उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण सीकर के नरेश ने उन्हें पुरस्कार प्रदान किया. इसके बाद, उन्होंने पिलानी से इंटरमीडिएट और कानपुर से बीए की शिक्षा पूरी की, जहां वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े.
पंडित जी का जीवन राष्ट्रीय राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखने वाला था. 1937 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और फिर अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने संघ की सेवा को अपनी प्राथमिकता बना लिया. आगरा में उनका परिचय नानाजी देशमुख और भाऊ जुगड़े से हुआ.
1955 में संघ में मिली बड़ी जिम्मेदारी
1955 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर प्रदेश प्रांतीय संगठक के रूप में नियुक्त किया गया. उन्होंने ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका की शुरुआत की. भारतीय राजनीति में उनका योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था. खासकर 1951 में भारतीय जनसंघ के गठन में उनकी भूमिका. इस दौरान उन्होंने ने संगठन के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई और 1968 में वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने. उनकी संगठनात्मक क्षमता और देशभक्ति के संदेश ने भारतीय जनसंघ को न केवल उत्तर भारत में, बल्कि दक्षिण भारत में भी लोकप्रियता दिलाई.
संदिग्ध अवस्था में मृत पाए गए दीनदयालजी
11 फरवरी 1968 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया. वे मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए. उनकी आकस्मिक मृत्यु ने देश के राजनीतिक इतिहास को गहरा आघात पहुंचाया. लेकिन उनकी मेहनत का ही फल है कि आज भारतीय जनता पार्टी एक बड़े राजनीतिक दल के रूप में जानी जाती है. पार्टी के आज केंद्र के अलावा कई राज्यों में सरकार है.