अयोध्या: जिले की मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने 61,710 वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की है. उन्होंने सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद को हराया. भाजपा की इस जीत से सपा को झटका लगा है. वहीं, भाजपा ने भी 2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार का बदला ले लिया है. इसके पहले भी यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 7 सीटें भाजपा ने जीती थीं.
काम नहीं आ रही अखिलेश की पीडीए पॉलिटिक्स
मिल्कीपुर में मिली हार से अखिलेश यादव की पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) वाली राजनीति को भी झटका लगा है. वह 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए इसी रणनीति के साथ मैदान में उतरना चाहते हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद, प्रदेश की कुल 10 विधानसभा सीटों पर हुए बाय-इलेक्शन में यह फॉर्मूला काम करता नहीं दिख रहा. बल्कि उनका कोर वोट बैंक कहा जाने वाला मुस्लिम समाज भी सपा से दूर हो रहा है. यही कारण है कि कुंदरकी जैसी मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भी भाजपा ने बाजी मारी थी.
भाजपा की बढ़ती ताकत
उप चुनाव के परिणामों ने यह भी साफ कर दिया कि भाजपा की सियासी ताकत और कार्यकर्ताओं की एकजुटता बढ़ रही है. खासकर लोकसभा चुनाव 2024 में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद. आम चुनाव के बाद हरियामा और नई दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हुए हैं. हरियाणा में जहां भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है. वहीं दिल्ली में भी 27 साल का वनवास खत्म हुआ है. दिल्ली में भाजपा शानदार प्रदर्शन किया है.
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अखिलेश यादव की बढ़ी चुनौतियां
मिल्कीपुर की हार से अखिलेश यादव की रणनीति और उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं. उन्होंने खुद दावा किया था कि इस सीट पर जीत के बाद वे योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों को जनता के सामने लाएंगे. लेकिन अब उनका यह दावा कमजोर पड़ता दिख रहा है. भाजपा ने फिर से साहित किया है कि वह चुनावी मुकाबले में सपा वर्तमान समय में काफी मजबूत है.