प्रयागराज: प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र में इस बार मातृ शक्ति ने एक नया इतिहास रच दिया है. यहां पर 2,000 से अधिक महिलाओं ने संन्यास की दीक्षा ली, जो कि महाकुंभ में महिला संन्यासियों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. महाकुंभ का आयोजन जहां हर साल लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र बनता है, वहीं इस बार विशेष रूप से महिला संन्यासियों की संख्या में जोरदार बढ़ोतरी हुई है.
महिला सशक्तिकरण की मिसाल प्रस्तुत करते हुए इस बार सबसे अधिक संन्यास दीक्षा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े में हुई, जहां 2,300 से अधिक महिलाएं संन्यास की ओर बढ़ी हैं. महाकुंभ में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को देखकर यह स्पष्ट हो गया है कि मातृ शक्ति अब समाज के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति महसूस करा रही है.
महिला नागा संन्यासियों की गेरुआ वस्त्र पहनने की परंपरा
महिला संन्यासियों की खास पहचान जूना अखाड़े में मंहत दिव्या गिरी ने साझा की. उन्होंने बताया कि महिला नागा संन्यासियों को पुरूष नागाओं के समान नग्न रहने की बजाय गेरुआ वस्त्र पहनने की परंपरा है, और उन्हें शाही स्नान की इजाजत भी नहीं होती. इस प्रक्रिया में पहले साधु जीवन जीने के बाद ही दीक्षा दी जाती है और इसके बाद पूरी विधि-विधान से संन्यास का संस्कार सम्पन्न किया जाता है.
गंगा में 108 बार डुबकी लगाने के बाद पंच दीक्षा का संस्कार
इस बार की दीक्षा प्रक्रिया में महिलाओं को गंगा में 108 बार डुबकी लगाने के बाद पंच दीक्षा का संस्कार दिया गया. इसके बाद उन्हें कठिन परीक्षणों से गुजरने के बाद आध्यात्मिक जीवन की ओर मार्गदर्शन दिया गया. महिला संत दिव्या गिरी ने बताया कि इस वर्ष उच्च शिक्षित महिलाएं भी संन्यास की राह पर बढ़ी हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक अनुभूति है.
संन्यास लेने वालों की कुल संख्या 8 हजार के पार
महाकुंभ में संन्यास लेने वालों की कुल संख्या 8,495 तक पहुंच चुकी है. इसमें जूना अखाड़ा में 4500 संन्यासी, 2150 संन्यासिनी, महानिर्वाणी में 250, निरंजनी में 1100 संन्यासी और 150 संन्यासिनी शामिल हैं. इसके अलावा अटल में 85 संन्यासी, आवाहन में 150 और बड़ा उदासीन में 110 संन्यासी बनाए गए हैं.