वाशिंगटन: नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान दिया जो विश्व भर में चर्चा का विषय बन गया है. उन्होंने व्हाइट हाउस में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गाजा पट्टी के विकास का प्रस्ताव रखा था. अपने बयान में उन्होंने गाजा पट्टी पर अमेरिका का “कब्जा” लेने और वहां के फलस्तीनियों को कहीं और बसाने की योजना का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका गाजा को अपने नियंत्रण में लेकर वहां की इमारतों और हथियारों को हटा देगा और आर्थिक विकास के माध्यम से नए रोजगार उत्पन्न करेगा.
अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने किया विरोध
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने इसे अस्वीकार्य करार दिया और कहा कि फलस्तीनियों को गाजा और वेस्ट बैंक में बसने और अपने राष्ट्र के विकास का पूरा अधिकार है. जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने भी कहा कि गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम फलस्तीनियों का है, और उन्हें जबरन बाहर निकालना अस्वीकार्य है.
वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने भी ट्रंप के बयान को नकारते हुए कहा कि फलस्तीनियों को कहां बसाया जाएगा, यह सवाल समझ से बाहर है. रूस ने भी इस मुद्दे पर कहा कि मध्य-पूर्व में शांति केवल दो-राष्ट्र समाधान के जरिए ही संभव है. फ्रांस ने कहा कि जबरन विस्थापन अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है और यह दो-राष्ट्र समाधान के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है.
हमास ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ट्रम्प को ललकार
गाजा में शासन करने वाले फलस्तीनी संगठन हमास ने ट्रंप के बयान की कड़ी निंदा की. हमास ने कहा कि वे अपनी जमीन पर किसी भी विदेशी कब्जे को स्वीकार नहीं करेंगे और उनके लोग अपने राष्ट्र और राजधानी येरुशलम के लिए बहुत बलिदान दे चुके हैं.
सऊदी अरब ने भी किया विरोध
इस मामले पर सऊदी अरब ने भी अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि वह फिलिस्तीनियों की बेदखली को कभी भी सहन नहीं करेगा. सऊदी अरब का कहना है कि वे फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं और किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे के खिलाफ हैं. सऊदी अरब ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह इजरायल के साथ किसी भी प्रकार के रिश्ते तब तक स्थापित नहीं करेगा जब तक फिलिस्तीन राज्य का निर्माण नहीं होता.