महाकुम्भ नगर: महाकुम्भ मेले का आकर्षण देश-विदेश में फैल चुका है. हर दिन लाखों श्रद्धालु आस्था और ज्ञान के लिए प्रयाग पहुंचते हैं. महाकुम्भ की आभा इतनी खास है कि कुछ लोग सैकड़ों मील पैदल और कुछ साइकिल से कुम्भ पहुंच जाते हैं, लेकिन जब कोई दिव्यांग व्यक्ति ट्राईसाइकिल से लगभग 1,000 किलोमीटर का सफर तय कर कुम्भ पहुंचता है, तो उसकी आस्था और संघर्ष दोनों ही सराहनीय होते हैं.
कोलकाता से ट्राईसाइकिल पर प्रयाग पहुंचे राजकुमार
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के रहने वाले 22 वर्षीय राजकुमार बिस्वास दिव्यांग हैं. उन्होंने अकेले ट्राईसाइकिल से 45 दिनों में कोलकाता से प्रयाग यात्रा पूरी की. राजकुमार के पिता मजदूरी करते हैं और घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन उनकी आस्था और सनातन धर्म के प्रति प्रेम बेहद मजबूत है. यही कारण है कि उन्होंने लगभग 1100 किलोमीटर का रास्ता तय करके प्रयागराज में महाकुम्भ का हिस्सा बनने का निर्णय लिया.
प्रत्येक दिन 35-40 किलोमीटर की यात्रा
राजकुमार बताते हैं, “मैंने पहले ही तय कर लिया था कि मुझे कुम्भ जाना है. कोलकाता से यात्रा शुरू की और हर रोज़ 35-40 किलोमीटर ट्राईसाइकिल चलाया. रात को पेट्रोल पंप पर रुककर, सुबह 6-7 बजे के बीच यात्रा शुरू करता था. जब थक जाता था, तो थोड़ा आराम करता और फिर से यात्रा जारी रखता.”
दिव्यांग होने के बावजूद अकेले यात्रा का संकल्प
राजकुमार कहते हैं, “घर में मेरे माता-पिता और दो भाई हैं. हमारे आर्थिक हालात अच्छे नहीं हैं और मुझे पता था कि दिव्यांग होने के कारण कोई मुझे घुमाने नहीं ले जाएगा. इसलिए मैंने अकेले ही यात्रा करने का फैसला लिया और ट्राईसाइकिल से यह यात्रा शुरू की.”
यात्रा में मिली मदद
राजकुमार अपनी यात्रा के दौरान लोगों की मदद का जिक्र करते हुए कहते हैं, “मैं कभी किसी से कुछ नहीं मांगता था, जो भी मिलता था, वही खा लेता था. जब लोगों को पता चलता था कि मैं अकेले कुम्भ जा रहा हूं, तो वे मेरी मदद करते और प्रशंसा करते. मेरे परिवार ने मुझे साथ नहीं दिया, लेकिन रास्ते में अनजान लोगों ने मेरी बहुत मदद की है.”
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काशी और अयोध्या के दर्शन के बाद पहुंचे प्रयागराज
राजकुमार ने बताया, “मैंने सोशल मीडिया पर वाराणसी और राम मंदिर के बारे में बहुत सुना था और मन में इच्छा थी कि वहां जरूर जाऊं. कोलकाता से यात्रा शुरू कर मैंने पहले वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए. इसके बाद अयोध्या में भगवान राम का आशीर्वाद लिया और फिर प्रयाग पहुंचा.”
मौनी अमावस्या के दिन पुलिस ने की मदद
राजकुमार ने बताया, “28 जनवरी की शाम को प्रयाग पहुंचा. मेले में भारी भीड़ थी, ट्राईसाइकिल से चलना बहुत मुश्किल हो रहा था. लेकिन मौनी अमावस्या के दिन पुलिस ने मेरी मदद की, जिसके कारण मैंने बिना किसी परेशानी के अमृत स्नान किया.”
प्रयाग से वृंदावन की ओर जाने का प्लान
राजकुमार ने बताया कि वह अब प्रयाग से वृंदावन जाएंगे और वहां बांके बिहारी जी के दर्शन करेंगे, फिर वहां की परिक्रमा करेंगे और उसके बाद कोलकाता वापस लौटेंगे.
इनपुट: हिन्दुस्थान समाचार