नई दिल्ली: विपक्षी दलों की कड़ी आपत्तियों के बावजूद, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने वक्फ संशोधन विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी है. यह संशोधन 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव के लिए प्रस्तावित थे, जो भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है.
#WATCH दिल्ली: भाजपा सांसद और वक्फ(संशोधन) विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, “… सरकार ने स्पीकर साहब से आग्रह किया था कि हम यह संशोधन वक्फ की बेहतरी और आम जनता के फायदे के लिए ला रहे हैं… JPC के सभी 44 संशोधनों पर चर्चा हुई है… सभी पक्षों… pic.twitter.com/TbQxfCzgLP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 27, 2025
जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि इन संशोधनों को बहुमत के आधार पर स्वीकार किया गया, जिसमें 16 सदस्यों ने समर्थन किया और 10 ने विरोध किया. उन्होंने बताया कि यह निर्णय छह महीने से अधिक समय तक चली विस्तृत चर्चा के बाद लिया गया. पाल ने कहा कि विपक्षी दलों ने भी संशोधन प्रस्तावित किए थे, लेकिन उनका समर्थन नहीं मिला.
विधेयक का उद्देश्य
वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार लाना है. हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिमों के अधिकारों और भारतीय संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है.
विपक्ष का विरोध
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उन्हें बैठक के दौरान बोलने का अवसर नहीं दिया गया. सांसदों ने कहा कि बिना उचित चर्चा के संशोधन पारित किए गए. तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया. वहीं, कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन ने कहा कि अधिकांश हितधारकों ने विधेयक का विरोध किया. यह पूरी प्रक्रिया गलत तरीके से की गई.
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संशोधन में प्रमुख बदलाव:
1. विधेयक में अब जिला कलेक्टर के बजाय राज्य सरकार के नामित अधिकारी को यह अधिकार होगा कि कौन सी संपत्ति वक्फ संपत्ति है.
2.राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य होने की आवश्यकता का प्रावधान किया गया है, जिसे अब संशोधित कर दिया गया है कि नामित सदस्यों में से दो गैर-मुस्लिम होने चाहिए.