देहरादून: आज सोमवार को इतिहास रचते हुए उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी, 2025 को यूसीसी पोर्टल और इसके नियमों का शुभारंभ किया. यह कदम राज्य में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.
यूसीसी का उद्देश्य
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत से जुड़े व्यक्तिगत कानूनों को सरल और मानकीकृत करना है. राज्य सरकार के आधिकारिक आदेश के अनुसार, समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 (अधिनियम संख्या 3, 2024) की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत 27 जनवरी 2025 को उक्त संहिता लागू की गई है.
नए अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं
उत्तराखंड सरकार के मुताबिक, यह अधिनियम राज्य के संपूर्ण क्षेत्र पर लागू होगा .साथ ही राज्य के बाहर रहने वाले निवासियों पर भी प्रभावी रहेगा. हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और संरक्षित समुदायों को इससे छूट दी गई है.
यूसीसी के तहत, विवाह के लिए कुछ विशेष मानदंड तय किए गए हैं.
•विवाह केवल तब हो सकता है जब दोनों पक्षों में से किसी का भी कोई जीवित जीवनसाथी न हो.
•दोनों पक्ष कानूनी रूप से मानसिक रूप से सक्षम होने चाहिए.
•पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष और महिला की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए.
•विवाह पंजीकरण 60 दिनों के भीतर अनिवार्य होगा.
•पंजीकरण के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध होंगे.
पंजीकरण प्रक्रिया और दंड प्रावधान
विवाह पंजीकरण में देरी या गलत जानकारी देने पर दंड का प्रावधान भी रखा गया है. पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा. यदि निर्णय नहीं लिया जाता है तो आवेदन को स्वीकृत माना जाएगा. पंजीकरण न होने के कारण विवाह को अमान्य नहीं माना जाएगा.
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य
यह अधिनियम वसीयत और उत्तराधिकार से संबंधित दस्तावेजों के निर्माण और निरस्तीकरण के लिए एक सुव्यवस्थित ढांचा स्थापित करेगा. इसके तहत विवाह, तलाक और संपत्ति विवादों का समाधान आसानी से किया जा सकेगा.
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उत्तराखंड का यह कदम न केवल राज्य के नागरिकों के लिए, बल्कि देशभर के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. यह सुनिश्चित करेगा कि व्यक्तिगत कानूनों में कोई भेदभाव न हो और सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों.