लखनऊ: यूपी में नेशनल हाइवे पर संचालित कई टोल प्लाजा पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. खबरों के अनुसार, इन टोल प्लाजा पर एक साफ्टवेयर के जरिए 120 करोड़ रुपये का गबन किया गया. इस को लेकर यूपी एसटीएफ ने मिर्जापुर जिले के अतरैला टोल प्लाजा से 3 आरोपियों को हिरासत में लिया है. आरोप है कि इन लोगों ने टोल टैक्स की वास्तविक राशि को छिपाकर सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी की. एसटीएफ को आशंका है कि ऐसे कई टोल प्लाजा पर भी इसी प्रकार की अनियमितता बरती जा रही थी.
आलोक है घोटाले का मास्टरमाइंड
इस बड़े घोटाले के मास्टरमाइंड आलोक को बताया जा रहा है. उसने मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन से परास्नातक की डिग्री हासिल की है. वह कई कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर चुका है. आलोक पहले भी कई कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर बना चुका है, इसी क्रम में वह टोल प्लाजा के लिए काम करने वाली कंपनी के संपर्क में आया. उसने टोल कलेक्शन के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया. इसके बाद, उसने इस सॉफ्टवेयर को अतरैला टोल प्लाजा समेत कई अन्य टोल प्लाजा के कंप्यूटरों में इंस्टॉल किया.
सॉफ्टवेयर कैसे काम करता था?
यह सॉफ्टवेयर एनएचएआई के सिस्टम की तरह काम करता था, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य टोल वसूली की वास्तविक रकम को छिपाना था. इसके जरिए टोल प्लाजा संचालकों और अन्य साजिश में शामिल लोगों के बीच कमाई को आपस में बांट दिया जाता था. मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा से हर दिन लाखों रुपये का घोटाला हो रहा था. यह खेल लगभग 200 टोल प्लाजा पर चल रहा था.
3 लोगों की हुई गिरफ्तारी
इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार हुई है. गिरफ्तार आरोपियों में टोल प्लाजा के मैनेजर राजीव मिश्रा, कर्मी मनीष मिश्रा और सॉफ्टवेयर इंजीनियर सावन लाल शामिल है. टोल वसूली की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी शिवा बिलटेक और वहां काम कर रहे सभी कर्मचारी अब संदेह के घेरे में हैं.
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NHAI ने लिखा पत्र
मामला मीडिया में उजागर होने के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने अपने उच्च अधिकारियों को एक पत्र लिखा है. जिसमें जिम्मेदार एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई करने और टोल पर सख्त निगरानी करने की बात कही गई है. NHAI ने अपने पत्र में लिखा है कि मीडिया में यह बताया गया है कि कुछ धोखेबाज टोल एजेंसियों और टीपी पर काम करने वाली अन्य एजेंसियों के साथ मिलीभगत करके समानांतर सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं. इससे सरकार को वित्तीय नुकसान हो रहा है. सक्षम अधिकारी इसे गंभीरता से लें. पत्र में धोखाधड़ी की घटनाओं की जांच कर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रिपोर्ट भेजने की बात कही गई है.