प्रयागराज; प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ मेले की रौनक है. हर दिन तकरीबन लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं. इस महाकुंभ मेले में अमृत स्नान यानी शाही स्नान का खास महत्व है. पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन संपन्न हुआ था, जिसमें लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई थी. वहीं, अब 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन दूसरा अमृत स्नान होगा. इस विशेष दिन का सनातन धर्म में महत्व बहुत ज्यादा है.
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं एवं अपने पितरों का तर्पण करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद मिलता है. वहीं, मौन व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है. जिससे जीवन में खुशहाली आती है. इस दिन पितृ को तर्पण व दान करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है.
कब है मौनी अमावस्या?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ महीने की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:32 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे खत्म होगी. वहीं, 29 जनवरी को अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:18 बजे तक रहेगा. वहीं, बाद में संध्या मुहूर्त 5:51 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य का फल प्राप्त कर सकते हैं.
क्यों है यह अमावस्या खास?
वहीं, 29 जनवरी को महाकुंभ मेले का दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन होगा. मौनी अमावस्या व दूसरा अमृत स्नान महाकुंभ का सबसे खास व महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन पितृ तर्पण व दान का महत्व बहुत बढ़ जाता है. इस दिन बनने वाले ज्योतिषीय संयोग इसे और भी खास बनाते है. जानकारों के मुताबिक, इस बार मौनी अमावस्या पर चंद्रमा, बुध एवं सूर्य मकर राशि में त्रिवेणी योग बना रहे हैं. यह एक दुर्लभ संयोग है.
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