अयोध्या; उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को होने जा रहे उपचुनाव में दलित, पिछड़ा के साथ अगड़ा वोट खासकर ब्राह्मण भी ट्रंप कार्ड है. इसको पाने की चुनौती सपा व भाजपा दोनों पार्टियों के सामने होगी. वहीं, दोनों दल इस वोट बैंक को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
राजनीतिक जानकार के अनुसार, अयोध्या के मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी का ऐलान होते ही, अब सपा और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई नजर आ रही है. चुनावी आकड़ों के मुताबिक, इस विधानसभा क्षेत्र में पासी बिरादरी के बाद सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं. इस वर्ग को अपने पाले में लाने के लिए दोनों पार्टियां अपने-अपने हथकंडे अपना रहीं हैं.
‘ब्राह्मण वोटर ट्रंप कार्ड’
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि मिल्कीपुर विधानसभा में अभी तक की राजनीति देखें तो यहां पर अपर कास्ट का वोट बहुत महत्वपूर्ण है. वहीं, इस चुनाव में सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता ट्रंप कार्ड साबित होगा, क्योंकि जितना वहां पासी समाज का वोट है, उतना ही लगभग ब्राह्मण समाज का भी वोट बैंक है.
बता दें कि सपा सांसद अवधेश प्रसाद पिछले चुनाव में पासी, कुछ यादव और ब्राह्मण वोट बैंक के कॉम्बिनेशन से जीतते आए हैं. वहीं, 2017 में लहर के कारण बीजेपी को जीत मिली थी. अगड़ा वोट बैंक बीजेपी में शिफ्ट हो गया था. राजीव श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि यादव वोट बैंक को एक करने के लिए सपा मुखिया ने मित्रसेन के बेटे आनंद सेन को एक करने की कोशिश की है. अब देखना है कि वह कितना रंग लाते है.
पासी वोट बैंक में होगा बिखराव
राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार भी बीजेपी के पासवान उम्मीदवार उतारने के कारण पासी वोट बैंक में बिखराव होगा. जीत के लिए अगड़ा वोट बैंक जरूरी है. वो जिधर चला गया, उसकी जीत सुनिश्चित है. इसी कारण इस वोट बैंक के लिए दोनों दलों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक रखी है.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक पवन पांडेय के जरिए ब्राह्मण वोट बैंक को गोलबंदी करने की ताकत लगाई है. वहीं, बीजेपी ने ब्राह्मण मतों को साधने के लिए महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी, पूर्व महापौर ऋषिकेश उपाध्याय समेत अपने पुराने ब्राह्मण नेताओं को मोर्चे पर लगाया है.
बीजेपी का सपा पर गंभीर आरोप
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि समाजवादी पार्टी की जब भी यूपी में सरकार रही, तब गुंडे अपराधियों और माफियाओं को प्रदेश लूटने की आजादी थी. सपा पूरी तरह से परिवारवादी और जातिवादी है. इस पर जनता का भरोसा नहीं है. जबकि, बीजेपी ‘सबका साथ, सबका विकास’ को लेकर चलती है. यहां पर सबका सम्मान है. सपा ने मिल्कीपुर सीट से एक सांसद के बेटे को टिकट दिया है, वहीं, बीजेपी ने अपने एक साधारण कार्यकर्ता को उतारा है. यही अंतर इनकी सोच को दिखाता है.
मिल्कीपुर उपचुनाव शेड्यूल
बता दें कि मिल्कीपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है. जबकि, बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान पर दांव खेला है. वहीं, बीएसपी ने उपचुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है. इस क्रम में बीएसपी का वोट किधर जाता है, इस पर भी सभी की नजरें रहेंगी. गौरतलब है कि मिल्कीपुर में पांच फरवरी को मतदान होगा और आठ फरवरी को नतीजे आएंगे.
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