प्रयागराज: देश और दुनिया के तमाम संत इन दिनों महाकुंभ के चलते प्रयागराज में मौजूद हैं. लेकिन इसी बीच सनातन बोर्ड की स्थापना को लेकर मांग तेज हो गई है. महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 17 में 27 जनवरी को इसको लेकर एक बैठक भी होने जा रही है. जिसमें सनातन बोर्ड की स्थापना को लेकर चर्चा होगी. इस बैठक में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी, सभी अखाड़ों के प्रमुख व सनातन बोर्ड की मांग तेज करने वाले कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर सहित 50 हजार संत मौजूद रहेंगे.
अब सवाल यह उठता है कि यह बोर्ड है क्या और क्यों इसकी जरूरत महसूस की जा रही है? इस पर महाकुंभ में 27 जनवरी को होने वाली धर्म संसद में विस्तृत चर्चा होने जा रही है, जिसमें सनातन बोर्ड से जुड़ी अहम जानकारी सामने आ सकती है. लेकिन इससे पहले यह जान लेते हैं कि बोर्ड के गठन को लेकर मांग क्यों तेज हुई. यह चर्चाओं में कब आया.
कब और क्यों उठी मांग?
बीते साल, देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड के गठन की मांग उठाई थी. उन्होंने कहा था कि देश के मठों और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर उनका संचालन सनातन बोर्ड को सौंपा जाए, ताकि यह संतों के नेतृत्व में हो और बेहतर तरीके से चल सके. ठाकुर ने यह भी सुझाव दिया था कि बोर्ड का नेतृत्व शंकराचार्य और अन्य संतों के हाथों में होना चाहिए, ताकि मठों और मंदिरों के संचालन में पारदर्शिता और दक्षता बनी रहे. इसी दौरान, 16 नवंबर को दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड के गठन की मांग के साथ-साथ कृष्ण जन्मभूमि और तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की भी अपील की गई थी.
कैसे होगा गठन?
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने महाकुंभ में इस बोर्ड के गठन को लेकर कहा था कि इसमें देशभर के मठों और छोटे-छोटे मंदिरों के संतों और महंतों की राय शामिल की जाएगी. इसके बाद बोर्ड का गठन किया जाएगा और सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष चुना जाएगा. बोर्ड का मुख्य कार्य मठों और मंदिरों का बेहतर संचालन और सनातन धर्म का प्रचार होगा. इस बोर्ड में देश के 13 अखाड़ों के संत भी शामिल होंगे.
संरक्षण परिषद को लेकर विवाद
हाल ही में महाकुंभ में महंत रवींद्र पुरी ने सनातन संरक्षण परिषद को मान्यता देने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि अखाड़ा परिषद इस परिषद को मान्यता नहीं देती और केवल उसी बोर्ड का गठन किया जाएगा, जिसे अखाड़ा परिषद संचालित करेगा.
तिरुपति प्रसादम विवाद के बाद मांग तेज
देवकीनंदन ठाकुर ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद सनातन बोर्ड के गठन की मांग और तेज कर दी थी. उनका कहना है कि ऐसे मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और सनातन बोर्ड के तहत लाया जाए, ताकि धार्मिक आस्थाओं का सही तरीके से पालन किया जा सके.
यह भी पढ़ें: जानिए क्या है अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ?, मध्यकाल से जुड़ी हैं ये परंपरा, पढिए पूरी खबर!
धर्म संसद में होगी अहम चर्चा
27 जनवरी को महाकुंभ में धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधि और प्रमुख धर्माचार्य भाग लेंगे. इस दौरान सनातन बोर्ड के गठन पर विचार-विमर्श किया जाएगा. यह आयोजन महाकुंभ के सेक्टर 17 में स्थित शांति सेवा शिविर में होगा, जहां लगभग 50,000 लोग एक साथ बैठकर इस चर्चा में भाग ले सकेंगे.