प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को राज्य संचालित मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त चिकित्सकों द्वारा निजी नर्सिंग होम में प्रैक्टिस करने के मामलों की जांच करने का निर्देश दिया है. यह आदेश 2 जनवरी 2025 को दिया गया था. अदालत ने प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य) को यह सूचित करने का निर्देश भी दिया कि क्या प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. अरविंद गुप्ता को एक निजी नर्सिंग होम में इलाज करने का अधिकार है या नहीं.
क्या है मामला?
यह आदेश डॉ. अरविंद गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया. याचिका में डॉ. गुप्ता ने खुद को और अपनी कार्यशैली को लेकर लगाए गए आरोपों का खंडन किया. शिकायतकर्ता, रूपेश चंद्र श्रीवास्तव ने आरोप लगाया था कि डॉ. गुप्ता ने प्रयागराज के निजी नर्सिंग होम ‘फीनिक्स अस्पताल’ में उनके और उनकी पत्नी का गलत इलाज किया. इस मामले की शिकायत उपभोक्ता फोरम में की गई थी.
हालांकि, डॉ. गुप्ता के वकील ने दावा किया कि जिला उपभोक्ता फोरम ने इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया और यह मामला सीधे राज्य उपभोक्ता फोरम के पास चला गया. वकील ने यह भी कहा कि यह मामला मात्र 1,890 रुपये से संबंधित था और इसमें संज्ञेय अपराध नहीं था.
निजी प्रैक्टिस के अधिकार पर सवाल
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस के अधिकार पर सवाल उठाया. अदालत ने पूछा कि क्या डॉ. गुप्ता जैसे सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सक एक निजी नर्सिंग होम में इलाज कर सकते हैं या नहीं?
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अदालत ने यूपी सरकार से यह भी जांच करने को कहा कि क्या अन्य राज्य संचालित मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सक भी निजी नर्सिंग होम में प्रैक्टिस कर रहे हैं. इसके अलावा, अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई में यह स्पष्ट करें कि डॉ. गुप्ता ने ‘फीनिक्स अस्पताल’ में शिकायतकर्ता का इलाज कैसे किया. इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार यानी 8 जनवरी 2025 को होगी.