मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित विवादित जामा मस्जिद और हरिहर नाथ मंदिर मामले में गुरुवार को न्यायालय द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने लगभग 40 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में पेश की. यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रस्तुत की गई.
कोर्ट कमिश्नर ने 19 और 24 नवंबर को कड़ी सुरक्षा के बीच शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया था. इसी दौरान 24 नवंबर को मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 29 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु जैन ने 19 नवंबर को चन्दौसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया था. उसी दिन न्यायालय ने रमेश राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया था. शाम के समय कोर्ट कमिश्नर ने डीएम, एसपी और अन्य अधिकारियों के साथ मस्जिद का सर्वे शुरू किया, लेकिन अंधेरा हो जाने के कारण उस दिन सर्वे पूरा नहीं हो सका. इसके बाद 24 नवंबर को दूसरा सर्वे किया गया, जब हिंसा की घटनाएं घटीं.
कोर्ट कमिश्नर को 29 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन रिपोर्ट तैयार न होने के कारण उन्होंने अदालत से दो बार समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के बजाय इसे सील बंद लिफाफे में रखने का आदेश दिया था.
गुरुवार को कोर्ट कमिश्नर ने सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह को सर्वे रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में सर्वे के दौरान की गई वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और वादी, प्रतिवादी तथा आपत्ति कर्ताओं के बयान शामिल हैं. इस दौरान अदालत में भारी पुलिस बल तैनात था. अब अदालत इस रिपोर्ट का अध्ययन करके आगे की सुनवाई की रूपरेखा तैयार करेगी.
एडवोकेट कमिश्नर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में प्रस्तुत की गई है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक इसे खोला नहीं जाएगा.