नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर दाखिल एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका को बाकी लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर 17 फरवरी को सुनवाई का आदेश दिया है.
ओवैसी ने अपनी याचिका में धार्मिक स्थलों पर चल रही कानूनी लड़ाइयों के बीच इस एक्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग की है. ओवैसी के वकील निजाम पाशा ने धार्मिक स्थलों का सर्वे करने के खिलाफ अपना विरोध जताया है. इससे पहले, 12 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई होने तक मंदिरों और मस्जिदों से जुड़े नए मामले कोर्ट में स्वीकार नहीं किए जाएंगे.
इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. राजनीतिक दलों जैसे सीपीआईएम, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, एनसीपी, आरजेडी, और कुछ धार्मिक संगठनों ने एक्ट का समर्थन किया है. वहीं, काशी नरेश की बेटी, मथुरा के धर्मगुरु और कई अन्य ने इस एक्ट को चुनौती दी है.
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इन याचिकाओं में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा धार्मिक स्थलों पर कब्जे को वैध बनाता है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह एक्ट हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध समुदायों को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने से रोकता है. याचिका में यह भी आरोप है कि इस एक्ट की कुछ धाराएं असंवैधानिक हैं और संविधान की धार्मिक स्वतंत्रता की भावना के खिलाफ हैं.