चटगांव: बांग्लादेश की चटगांव अदालत ने इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्णदास की जमानत याचिका को रद्द कर दिया है. उन्हें 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था. तब से वह जेल में हैं. कोर्ट ने उनके पक्ष में 11 वकीलों के पैनल की दलीलों को नकारते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया.
वकीलों ने कोर्ट में कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं. साथ ही, वकीलों ने यह भी आरोप लगाया कि चिन्मय कृष्णदास को डायबिटीज और सांस से संबंधित समस्याओं के बावजूद अनुचित तरीके से जेल में रखा गया है.
इस्कॉन कोलकाता ने जताई निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद
चिन्मय कृष्णदास की जमानत याचिका पर सुनवाई से पहले, इस्कॉन कोलकाता ने एक बयान जारी कर कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट निष्पक्ष रूप से फैसला करेगा. कोलकाता इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने संत और बांग्लादेश में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए समर्थन की पुष्टि करते हुए उनकी सुरक्षा और न्याय की प्रार्थना की है.
8 दिसंबर को दर्ज हुई थी एफआईआर
8 दिसंबर को चटगांव कोर्ट परिसर में हिंदू संत चिन्मय कृष्णदास और उनके समर्थकों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. यह मामला राजद्रोह के आरोप में उनकी गिरफ्तारी से संबंधित है, जिसमें आरोप है कि उनके समर्थकों ने एक व्यापारी पर हमला किया. व्यापारी ने दावा किया कि हमले में उसे चोटें आईं थीं.
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बांग्लादेश नें हिंदुओं पर हो रहा अत्याचार
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हमलों के बढ़ते मामलों के बीच, इस्कॉन कोलकाता ने दिसंबर में एक अपील जारी की थी. इसमें बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू अनुयायियों से आग्रह किया गया था कि वे कट्टरपंथी तत्वों से बचने के लिए अपनी पहचान छुपाएं और सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी बरतें. इस्कॉन ने अपने अनुयायियों से भगवा कपड़े पहनने और तिलक लगाने से बचने की सलाह दी थी, ताकि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.