Lucknow: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लाखों ऐसे गुमनाम नायक हैं, जिनके बारे में इतिहास में नहीं लिखा गया. लेकिन देश को आजादी दिलाने में उनका बड़ा योगदान है. राष्ट्रवीर की विशेष सिरीज में हम आप को ऐसे मां भारती महान सपूतों की जीवन यात्रा से परिचय करवाते आए हैं. आज के इस एपिसोड में हम उन्नाव के महान अमर बलिदानी गुलाब सिंह लोधी के बारे में जानेंगे. गुलाब सिंह लोधी एक ऐसे महानक्रांतिकारी थे, जन्होंने अंग्रेजों के तनाम सुरक्षा इंतजामों को धता बताते हुए लखनऊ में तिरंगा फहराया था. जिस पर क्रूर ब्रिटिश हुकूमत ने उन पर गोलियां बसाई थीं.
गुलाब सिंह लोधी का जीवन और संघर्ष
गुलाब सिंह लोधी का जन्म 1903 में उन्नाव जिले के फतेहपुर ब्लॉक के चंद्रिकाखेड़ा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम रामरतन था. उन्नाव हमेशा से क्रांति और साहित्य की धरती रही, इसी का असर गुलाब सिंह लोथी पर भी पड़ा. उनके मन में बचपन से ही अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का जज़्बा था. उन्होंने कभी भी अंग्रेजों का प्रलोभन स्वीकार नहीं किया और हर मौके पर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया.
1930 के दशक में यूपी के अवध क्षेत्र सहित पूरे देश में स्वाधीनता संग्राम की गतिविधियां अपने चरम पर थीं. जिनमें गुलाब सिंह लोधी सहित उन्नाव के तमाम क्रांतिकारी भाग ले रहे थे. उन दिनों क्रांतिकारियों ने झंडा सत्याग्रह आंदोलन छेड़ रखा था. क्रांतिकारियों का उद्देश्य फिरंगी सरकार का झंडा उखाड़कर भारतीय ध्वज तिरंगा फहराना था. इसी क्रम में लखनऊ के अमीनाबाद स्थित पार्क में तिरंगा फहराने के लिए बड़ी संख्या में क्रांतिकारी एकजुट हुए थे, जिन्हें रोकने के लिए अंग्रेजों ने भारी फौज लगा रखी थी.
अंग्रेजों का सुरक्षा घेरा तोड़कर फहराया था तिरंगा
सुरक्षा के इतने कड़े इंतजाम थे कि कोई भी तिरंगा फहराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. अंग्रेजों ने झंडा सत्याग्रह आंदोलन को दबाने के लिए पार्क में लोगों का जमावड़ा नहीं होने दिया. लेकिन गुलाब सिंह लोधी के मन में कुछ और ही चल रहा था. उन्हें उस समय सिर्फ यही सूझ रहा था कि कैसे भी करके पार्क में तिरंगा फहराना है. किसी तरह अंग्रेजों के घेरे से बचकर वे पार्क के एक पेड़ पर चढ़ गए और अपने कपड़ों में छिपाकर लाया हुआ तिरंगा वहां फहरा दिया. यह देखकर वहां खड़े क्रांतिकारी ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने लगे.
गुलाब सिंह के इस साहसिक कदम को देखकर अंग्रेजों ने गोली चलाने का आदेश दिया. कई सिपाहियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी. इस घटना में गुलाब सिंह लोधी गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन उनका साहस अंग्रेजों से जीत गया. देश की अनेक स्वाधीनता संग्राम की गलिविधियों में भाग लेते वाले गुलाब सिंह लोधी ने अंततः 23 अगस्त 1935 को अपने प्राणों की आहुति दे दी.
केंद्र सरकार ने जारी किया था डाक टिकट
गुलाब सिंह लोधी के इस बलिदान के बाद अमीनाबाद पार्क को आज भी ‘झण्डेवाला पार्क’ के नाम से जाना जाता है. यह स्थान स्वतंत्रता संग्राम के समय क्रांतिकारियों और जनसभाओं का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. गुलाब सिंह लोधी के बलिदान को मान्यता देते हुए केंद्र सरकार ने 2013 में उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया. वहीं 13 मार्च 2024 को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्नाव में गुलाब सिंह लोधी की प्रतिमा का अनावरण किया, जो उनके योगदान को हर किसी तक पहुंचाने का एक प्रयास है.
अब उनकी यह प्रतिमा बलिदान का प्रतीक बन गई है, यहां हर साल यहां मेला लगता है. लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. उनका बलिदान और उनका साहस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम हिस्सा बना रहेगा. उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी जान दी, लेकिन तिरंगे को कभी झुकने नहीं दिया.
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इसीलिए प्रतिमा का अनावरण करते समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि गुलाब सिंह लोधी का साहस और पराक्रम हमें यह सिखाता है कि देश की स्वतंत्रता के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए. उनके बलिदान की गाथा हमेशा अमर रहेगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी.