नई दिल्ली: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है, जिसे हर साल सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज उनकी 100वीं जयंती के इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, PM नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य प्रमुख नेताओं ने ‘सदैव अटल’ स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे और एक राजनेता के अलावा पत्रकार और लेखक भी थे. उनके ओजस्वी और प्रेरक भाषणों ने हर किसी को प्रभावित किया. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उन्हें 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इस दिन को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, और इसे सुशासन दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है.
पीएम मोदी ने ‘अटल जी’ के योगदान पर लिखा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी की 100वीं जयंती के अवसर पर अपनी वेबसाइट Narendramodi.in पर एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने अटल जी के योगदान और उनकी महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में विचार साझा किए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “अटल जी की 100वीं जयंती पर, उनके राष्ट्र के प्रति योगदान को याद करते हुए उनके द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में विचार किए। उनका प्रभाव आज भी हमारे जीवन में महसूस होता है.”
अटल जी का शासन और परिवर्तनकारी योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा, “आज 25 दिसंबर हमारे लिए एक विशेष दिन है. हम अपने प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती मना रहे हैं. उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन हमारे देश को 21वीं सदी में एक सशक्त भारत बनने की दिशा में प्रेरित करता है.”
उन्होंने आगे लिखा, “1998 में जब अटल जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब भारत राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा था. अटल जी ही थे जिन्होंने स्थिर और प्रभावी शासन प्रदान किया और भारत को एक नए युग की दिशा में अग्रसर किया.”
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से लेकर भाजपा तक का सफर
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1947 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और बाद में वे जनसंघ से होते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक दिग्गज नेता बने. वे भारत के पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया.
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