नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के दक्षिण जिला पुलिस ने हत्या के मामले की जांच के दौरान बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ कराने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की सीमा में अवैध रूप से घुसने में मदद करता था, साथ ही यहां आने पर उनके लिए फर्जी दस्तावेज भी तैयार करता था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से पांच बांग्लादेशी नागरिक हैं और बाकी 6 लोग फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले रैकेट से जुड़े हुए थे.
दक्षिण जिला के डीसीपी अंकित चौहान ने आज मंगलवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान के लिए विशेष ऑपरेशन शुरू किया था. पुलिस के मुताबिक, यह रैकेट संगम विहार और रोहिणी इलाके में सक्रिय था. उन्होंने बताया कि बीते 20 दिसंबर को संगम विहार में एक महिला ने पुलिस से संपर्क किया और सूचना दी कि उसका पति सेंटू शेख उर्फ राजा बेहोश पड़ा है. पुलिस मौके पर पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. जांच के दौरान हत्या का मामला सामने आया, पुलिस ने मामले में चार बांग्लादेशी नागरिकों—मिदुल मियां, फरदीन अहमद, अभि अहमद और दो महिलाओं को गिरफ्तार किया.
हत्या मामले की जांच के दौरान हुआ खुलासा
पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि सेंटू शेख अक्सर उन्हें किसी न किसी कारण से धमकाता था, जिसके कारण उन्होंने एक महीने पहले सेंटू की हत्या की साजिश रची. उन्होंने गला घोंटकर उसकी हत्या की और उसकी नकदी व सामान लूट लिया. सभी आरोपी बांग्लादेशी नागरिक थे, जिन्होंने अवैध तरीके से भारत में प्रवेश किया और फर्जी दस्तावेजों के जरिए दिल्ली में बसे हुए थे.
फर्जी दस्तावेज बनाने वाले रैकेट का भी पर्दाफाश
पुलिस के मुताबिक, आरोपितों ने फर्जी भारतीय पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड और जन्म प्रमाणपत्र तैयार करने के लिए एक रैकेट का सहारा लिया. उनका संपर्क ‘पूनम ऑनलाइन कंप्यूटर सेंटर’, रोहिणी के साहिल सहगल से था, जो फर्जी आधार कार्ड तैयार करता था. साहिल और उसके सहयोगियों ने फर्जी वेबसाइट ‘Jantaprints.site’ के जरिए बांग्लादेशी नागरिकों के लिए दस्तावेज तैयार किए थे.
पुलिस ने मामले में अन्य संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया, जिनमें रंजीत, अफरोज, मोहम्मद चांद, सद्दाम हुसैन और दीपक शामिल हैं. पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपितों ने अपनी उम्र 18 साल से कम दिखाई थी ताकि उनके दस्तावेज आसानी से बन सकें. पुलिस ने अब तक इस रैकेट के सभी प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह मामला अवैध आप्रवासन और फर्जी दस्तावेजों के निर्माण के रैकेट का एक बड़ा पर्दाफाश है.