मीरजापुर; जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक पहल हुई है. धाम के निकास द्वार को 76 किलो चांदी से निर्मित भव्य दरवाजे से सजाया जाएगा. इस दरवाजे को बिहार के निवासी रविन्द्र कुमार सिंह ने मां विंध्यवासिनी को अर्पित किया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर के तहत इस क्षेत्र को एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, यह भेंट इस प्रयास को नई ऊंचाई प्रदान करेगी. यह नई पहल न केवल धाम की भव्यता को बढ़ाती है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को भी मजबूत करती है. विंध्य क्षेत्र एक धार्मिक व पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है, जो आने वाले वर्षों में और भी प्रगति करेगा.
विंध्यवासिनी धाम व विंध्य कॉरिडोर का महत्व
मां विंध्यवासिनी धाम विंध्य पर्वत पर स्थित एक प्रमुख शक्ति पीठ है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विंध्य कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य इस क्षेत्र को आधुनिक सुविधाओं व भव्यता के साथ धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना है. चांदी के इस द्वार ने न केवल धाम की सुंदरता बढ़ाई है, बल्कि इसको धार्मिक दृष्टिकोण से और भी महत्वपूर्ण बना दिया है.
चांदी का दरवाजा आस्था व कारीगरी का संगम
76 किलो चांदी से बने इस दरवाजे को वाराणसी के कुशल कारीगरों ने एक महीने में तैयार किया है. इसकी डिज़ाइन में पारंपरिक धार्मिक प्रतीक शामिल हैं, जो मां विंध्यवासिनी की महिमा को और बढ़ाते हैं. इस दरवाजे को सोने के व्यापारी अखिलेश सोनी की देख-रेख में बनाया गया है. इसकी अनुमानित कीमत लगभग 72 लाख रुपए है. यहां पर पीतल का दरवाजा लगा हुआ है, अब इस पीतल के दरवाजे को हटा कर चांदी का दरवाजा लगाया जाएगा.
विंध्य कॉरिडोर व क्षेत्रीय विकास
विंध्य कॉरिडोर परियोजना के माध्यम से अब धाम का विस्तार और विकास किया जा रहा है. इसमें बेहतर सड़कें, आवासीय सुविधाएं, जल प्रबंधन, और मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के प्रयास शामिल हैं. चांदी के इस दरवाजे का जुड़ना इस विकास की कड़ी में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यह आकर्षक बनेगा.
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