अयोध्या; महाराजा दशरथ के चारों पुत्र विवाह रचाकर अपनी पत्नियों संग बीती रात अयोध्या वापस आए. विद्या कुंड पर रात्रि विश्राम के बाद चारों विवाहित जोड़ों का नगर भ्रमण प्रारंभ हुआ. देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानों त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम अपने भाइयों समेत नगर भ्रमण के लिए निकले हो.
अयोध्या वासियों ने पलक पांवड़े बिछाकर नव विवाहितों का अतिशय उल्लास सहित मंगल कलशों के साथ अगवानी और सत्कार किया. पीतवसना महिलाओं ने बधाई एवं मंगल गीत गाए गए. साथ ही खूब आतिशबाजी की गई. साकेत महाविद्यालय से गाजे-बाजे के साथ नगर भ्रमण प्रारंभ हुआ. सभी भक्त पूरे नगर में राम भजनों पर झूमते व जयकारे लगाते हुए नजर आए. साथ ही फूलों की पंखुड़ियों की परत से सारा रास्ता सुगंधित व शोभायमान हो उठा.
श्रीराम लला मन्दिर के मुख्य द्वार पर तीर्थ क्षेत्र की ओर से ट्रस्टी अनिल मिश्र, शैलेन्द्र शुक्ल व अन्य पदाधिकारियों ने सारी व्यवस्था संभाल रखी थी. जगह-जगह सुन्दर रंगोलियां सजाई गई थीं. जिसके बाद हनुमान गढ़ी और छोटी देवकाली के सामने से लेकर वीणा चौक तक नाचते-गाते भक्तों का हुजूम फूलों की बौछार से काली सड़क को रंगीन कर दिया. उमंग और उत्साह में सारे अयोध्या वासियों की भीड़ घर के बाहर हर्षोल्लास में नाच गा रही थी. यह सुंदर नजारा देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उनका अपना भाई-बेटा सेहरा बांध कर दुल्हन घर लाया हो.
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज के संयोजन में तिलकोत्सव और विवाहोत्सव का कार्यक्रम संपन्न हुआ. महराजा दसरथ की भूमिका श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय ने निभाई. नगर भ्रमण के अंत में कारसेवक पुरम की भरतकुटी में चारों भाइयों और उनकी पत्नियों के स्वरूपों की विधि-विधान से आरती उतारी गई.