लखनऊ; राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार प्रदेश के सभी 75 जिलों में 14 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान अदालत में दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व न्यायालयों में लंबित मुकदमों का निवारण किया जाएगा. साथ ही वैवाहिक विवादों का समाधान भी सुलह-समझौते के माध्यम से कराया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि योगी सरकार और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य विवादित पक्षों के बीच सौहार्द बनाना है. इससे संबंधित पक्षकारों के समय व धन की बचत होती है. लोक अदालत में निर्णित मुकदमे की अपील किसी अन्य न्यायालय में नहीं की जा सकती है. लोक अदालत के निर्णय को अंतिम निर्णय माना जाता है. लोक अदालत का निर्णय सिविल न्यायालय के निर्णय के समान बाध्यकारी होता है.
वेबसाइट vcourts.gov.in के द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से चालान वाहनों का भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण कराया जा सकता है. ऐसे में प्रदेशवासी किसी भी लंबित वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कराना चाहते हैं तो वह संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अथवा जिले के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क कर वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं.
यह है प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवाद
प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवाद वह हैं, जो दंपति के मध्य विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं. इसके समाधान के लिए पति व पत्नी के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में विवाद का संक्षिप्त विवरण लिखते हुए प्रार्थना पत्र दिया जायेगा. इसके बाद विपक्षी को नोटिस भेज कर बुलाया जायेगा. पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश एवं मध्यस्थ अधिवक्ता की पीठ गठित की जायेगी.
पीठ के द्वारा दोनों पक्षों की बैठक करवा कर सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान कराया जायेगा. पीठ के द्वारा पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर लोक अदालत में निर्णय पारित किया जायेगा, जो अंतिम माना जायेगा. इससे परिवार टूटने से बच जायेगा एवं पारिवारिक सद्भाव बना रहेगा. उक्त निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं की जा सकेगी.