जौनपुर: जिले की प्रसिद्ध अटाला मस्जिद पर हिंदू पक्ष ने मंदिर होने का दावा ठोका है. जिसको लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई है. याचिकाकर्ता स्वराज वाहिनी एसोसिएशन और संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर कोर्ट में अर्जी डालकर यह दावा किया कि अटाला मस्जिद पहले ‘अटाला देवी मंदिर’ थी. अब सनातन धर्म के अनुयायियों को वहां पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए.
याचिका में अटाला मस्जिद परिसर में पूजा करने का अधिकार देने और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. हालांकि हिंदू पक्ष की इस याचिका के खिलाफ अटाला मस्जिद प्रशासन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की है. यह मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है, जहां 9 दिसंबर को सुनवाई होनी है.
कोर्ट ने स्वीकार की थी अर्जी
इसी साल अगस्त में जौनपुर कोर्ट ने स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की याचिका को स्वीकार कर मुकदमे की सुनवाई करने की मंजूरी दी थी. कोर्ट ने यह मुकदमा चलने योग्य माना था. साथ ही रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया था.
अटाला मस्जिद प्रशासन ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन एक पंजीकृत सोसायटी है. जो न्यायिक व्यक्ति नहीं है. इस आधार पर उनकी याचिका खारिज होनी चाहिए थी. मस्जिद प्रशासन का कहना है कि अटाला मस्जिद 1398 से एक मस्जिद के रूप में पंजीकृत है और मुस्लिम नियमित रूप से वहां नमाज अदा करते हैं.
असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया सामने
इस मामले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट की है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है, जहां उनका कोई अस्तित्व नहीं था. कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता, अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रत्येक वाहिनी, परिषद और सेना के पीछे सत्ताधारी दल का अदृश्य हाथ होता है.