न्यूयॉर्क: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में अमेरिका के न्यूयॉर्क में अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को वर्चुअली संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में हो रही हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हमले गंभीर मामला है. शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से स्थिति भयावह हो गई है. हिंसा न फैले इसलिए उन्हें देश छोड़ने का फैसला लेना पड़ा.
शेख हसीना ने कहा कि मैं देश में खूनखराबा नहीं चाहती थी. अगर मैं सत्ता में बनी रहती और इस्तीफा नहीं देती, तो देश में नरसंहार हो जाता. जब देश में लोगों को मारा जा रहा था, तब मैंने देश छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सत्ता और शासन की कोई जरूरत नहीं थी. शेख हसीना ने गणभवन में हुई हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां हथियारबंद लोग घुस आए थे और मेरी हत्या की योजना बनाई गई थी. मैंने अपने सुरक्षा कर्मियों को गोली न चलाने का आदेश दिया, क्योंकि यदि गोलीबारी होती, तो गणभवन में कई लोग मारे जाते.
शेख हसीना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदूओं पर हो रहे हमलों पर भी गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आज शिक्षक, पुलिस और नेता भी हमलों का शिकार हो रहे हैं. हिंदू, बौद्ध, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. 11 चर्च और कई हिंदू मंदिरों पर भी हमले हुए, इस्कॉन पर भी हमला किया गया और उनके एक संत को भी गिरफ्तार किया गया.
हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर लगाए गंभीर आरोप
शेख हसीना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के लिए मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि मैं आज देश में मास किलिंग की आरोपी हूं, लेकिन असल में मोहम्मद यूनुस सामूहिक नरसंहार के लिए मास्टरमाइंड है. वह इसके पीछे की साजिश चला रहा है.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से बिगड़ी स्थिति
बांग्लादेश के चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के पूर्व अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में स्थिति और बिगड़ गई है. उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इसी दौरान उन पर बीएनपी और जमात के समर्थकों ने हमला किया, जिसमें 50 से अधिक हिंदू घायल हो हो गए.
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खालिदा जिया का बयान
वहीं, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान ने लंदन में कहा कि अगर बांग्लादेश में इसी तरह की मौतें होती रही, तो सरकार का शासन नहीं चल पाएगा.