लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सपा की हार के बाद, पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव की योजना बनाई है. वह अब निष्क्रिय पदाधिकारियों पर सख्ती दिखाने की तैयारी कर रहे हैं और पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग न लेने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं.
2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत अखिलेश यादव पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं. सपा अध्यक्ष ने पार्टी के पदाधिकारियों के कामकाज का मूल्यांकन शुरू कर दिया है. अगर किसी पदाधिकारी का प्रदर्शन पार्टी के मानकों पर खरा नहीं उतरता है, तो उसे सपा से बाहर किया जा सकता है।
पार्टी हाईकमान का मंथन: 7-8 जिलों में होंगे बदलाव
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सपा हाईकमान इस मामले पर गंभीर मंथन कर रहा है. बताया जा रहा है कि 7 से 8 जिलों के पार्टी संगठन में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को बाहर किया जाएगा और सक्रिय कार्यकर्ताओं को पार्टी की कार्यकारिणी में स्थान दिया जाएगा. इसके साथ ही, पार्टी को और अधिक गतिशील बनाने के लिए युवा कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने का भी विचार है. माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया से नए नेतृत्व को मौका मिलेगा और युवाओं को पार्टी से जुड़ने का एक अवसर मिलेगा.
पीडीए की रणनीति पर जोर
सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव ने पीडीए (दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक) की रणनीति के तहत ‘गांव-गांव’ अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं. सपा अपने उसी रणनीति पर काम करना चाहती है, जिसके जरिए उसने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त दी थी. हालांकि पार्टी उपचुनाव में हार गई है, लेकिन अखिलेश यादव को अब भी इस रणनीति पर पूरा विश्वास है. इस बार उनका फोकस खासतौर से युवाओं पर है, जो पार्टी के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और जिनकी जमीन पर भी अच्छी पकड़ है.
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सपा अध्यक्ष का मानना है कि युवाओं को सही अवसर देने से पार्टी को नई दिशा मिल सकती है और आगामी चुनावों में पार्टी को मजबूती मिलेगी. इस बदलाव के तहत पार्टी को और अधिक युवा-प्रेरित और गतिशील बनाने की योजना बनाई जा रही है. निष्क्रिय पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के बाद समाजवादी पार्टी का मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा करना है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की सफलता की कुंजी बने.