बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं स्थित जामा मस्जिद शम्सी और नीलकंठ महादेव मंदिर के बीच चल रहे विवाद पर 30 नवंबर को स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया गया. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 3 दिसंबर तय की है.
मुस्लिम और हिंदू पक्ष की बहस
इस सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को बहस के लिए बुलाया गया था, जबकि हिंदू पक्ष के वकील भी अपने पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट में मौजूद थे. हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने 2022 में जामा मस्जिद के स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया था, जिसके बाद यह विवाद गरमा गया.
2022 में किया गया दावा
मुकेश पटेल ने 2022 में जामा मस्जिद स्थल पर महादेव मंदिर होने का दावा किया था. उनके अनुसार, यह स्थल पहले नीलकंठ महादेव मंदिर का था, जो बाद में मस्जिद के रूप में बदल दिया गया. शनिवार को हुई सुनवाई में सरकार के पक्ष ने अपनी बहस पूरी कर ली और अब मामले में प्रतिवादी पक्ष, जैसे इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड की तरफ से बहस की गई और अगली तारीख पर भी की जाएगी.
नीलकंठ महादेव मंदिर में पूजा की अनुमति पर बहस
हिंदू महासभा के अधिवक्ता के अनुसार, वादी ने नीलकंठ महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए याचिका दायर की है. इस पर कोर्ट में बहस चल रही है. मुख्य मुद्दा यह है कि क्या यह मामला कोर्ट में सुनवाई के योग्य है या नहीं. सरकारी वकील की बहस पूरी हो चुकी है, जबकि मुस्लिम पक्ष की बहस अभी पूरी नहीं हो पाई है. अब अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी, जब मुस्लिम पक्ष अपनी पूरी बहस प्रस्तुत करेग, और फिर हिंदू महासभा अपना विस्तृत जवाब दाखिल करेगी.
इंतजामिया कमेटी का पक्ष
इंतजामिया कमेटी के वकील अनवर आलम ने कोर्ट में तर्क प्रस्तुत किया कि जामा मस्जिद में कभी कोई मंदिर नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू महासभा को इस मामले में वाद दायर करने का कोई अधिकार नहीं है. अनवर आलम के अनुसार, मस्जिद लगभग 800 साल पुरानी है और यह दावा करना कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी, पूरी तरह से गलत है.