नई दिल्ली; संविधान के 75 साल पूरे होने पर, पुरानी संसद भवन स्थित केंद्रीय हॉल में दोनों सदनों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संबोधित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी, स्पीकर ओम बिरला, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कानून मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा के नेता सदन जेपी नड्डा, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नरायण सिंह भी मौजूद रहे. सभी ने संविधान के 75 साल पूरे होने पर 75 रुपये का सिक्का व डाक टिकट जारी किया. साथ ही संस्कृत और मैथिली भाषा में अनुवाद की गई संविधान की प्रति का विमोचन भी किया.
#WATCH दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान सदन में भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सिक्का जारी किया। pic.twitter.com/cp2PFhaaJI
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 26, 2024
इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों के सांसद को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सभी देशवासियों को संविधान दिवस हार्दिक शुभकामनाएं. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान समावेशी और प्रगतिशील है. दुनिया में भारत को नई पहचान मिल रही है. यही नहीं अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि कमजोर वर्गों के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं.
वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि यह ऐतिहासिक पल है. हम संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. इन 75 साल में हमने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. यह सब संविधान से ही संभव हो पाया है. हमें किसी भी परिस्थिति में संविधान का सम्मान करना चाहिए. देश को सबसे पहले रखना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभी को मौलिक अधिकार देता है. भारत के संविधान की दुनिया भर में तारीफ होती है.
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राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति से पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 75 वर्ष पहले इसी दिन हमारे संविधान को अंगीकृत किया गया था. आज पूरा देश संविधान के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहा है. 2015 में हमने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था. हमारा संविधान वर्षों का तप, समार्थ्य और क्षमता परिणाम है. बता दें कि भारत का संविधान हस्तलिखित और सबसे बड़ा संविधान है. इसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा था. इसकी मूल प्रति आज 75 वर्षों के बाद भी पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग में सुरक्षित रखी हुई है.