मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. प्रचंड बहुमत के साथ महायुति गठबंधन ने फिर से वापसी की है. वहीं महाविकास आघाड़ी (MVA) को बुरी तरह से हार नसीब हुई है. इस चुनाव परिणाम ने न केवल महाविकास आघाड़ी को करार झटका दिया, बल्कि राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ भी ला दिया. इस बार 60 वर्षों में ऐसा पहली बार होगा, जब महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का कोई नेता (लीडर ऑफ अपोजिशन) नहीं होगा.
नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए किसी के पास सीट नहीं
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं, नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी पार्टी को कुल सीटों का 10 प्रतिशत यानी कम से कम 29 सीटों की आवश्यकता होती है. लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह स्पष्ट हो गया है कि महाविकास आघाड़ी में शामिल कोई भी पार्टी इस आंकड़े को पार नहीं कर पाई. महाविकास आघाड़ी के तीन प्रमुख घटक दलों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के गुट ने 20 सीटें जीतीं, शरद पवार की एनसीपी को 10 और कांग्रेस को 15 सीटें ही मिलीं.
इस प्रकार, महाविकास आघाड़ी की कोई भी पार्टी 29 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाई, जिससे विपक्ष के पास नेता प्रतिपक्ष बनाने का कोई विकल्प नहीं बचा है. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या महायुति ही महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद किसी को सौंपेगी या यह पद खाली रहेगा?
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महायुति की पार्टियों ने कितनी सीटें जीतीं
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाले महायुति (NDA)गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला है. महायुति गठबंधन दल की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा रही. भाजपा को 132 , एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी) 41 सीटें जीतने में सफल रही. इस प्रकार से महायुति ने कुल 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटें जीतकर कीर्तिमा स्थापित कर दिया.