संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद को लेकर कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा आदेश दिया है. संभल सिवल कोर्ट ने याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन की अर्जी पर एडवोकेट कमिश्नर द्वारा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया. दावा है कि इसे पहले श्रीहरिहर मंदिर के रूप में ये जाना जाता था. इस मुकदमे में नोएडा के पार्थ यादव और वेदपाल सिंह के अलावा, संभल के महंत ऋषिराज गिरि, राकेश कुमार, जीतपाल यादव, मदनपाल और दीनानाथ भी वादी हैं. इस मामले में कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है, जो आदेश के बाद मंगलवार रात मस्जिद का सर्वे करने पहुंचे.
याचिका में क्या दावा किया गया?
वादी पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने याचिका में आरोप लगाया कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर 1529 में हुआ था. इस मस्जिद के निर्माण के लिए एक प्राचीन श्रीहरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे श्रीहरिहर मंदिर और कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है.
मस्जिद का ऐतिहासिक संदर्भ
शाही जामा मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है, ये मुगल काल के वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण मानी जाती है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, बाबर के शासनकाल में मीर बेग द्वारा इस मस्जिद का निर्माण किया गया था. कहा जाता है कि बाबर ने 1528 में यहां स्थित एक हिंदू मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था, हालांकि यह दावा अब तक विवादास्पद रहा है.
एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वेक्षण का आदेश
संभल की सिविल कोर्ट ने मस्जिद का विस्तृत सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद के नीचे या आसपास किसी प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं या नहीं. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस स्थान की धार्मिक पहचान को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है, और कोर्ट द्वारा किया गया सर्वेक्षण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
पहले दिन सर्वेक्षण में प्रशासन ने पूरा सहयोग दिया
मंगलवार को पहले दिन एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए गए सर्वेक्षण में प्रशासन ने पूरा सहयोग दिया. संभल डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया, एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. इस दौरान संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल भी उपस्थित थे और उन्होंने अधिकारियों से चर्चा की. कोर्ट ने भारत संघ को भी प्रतिवादी बनाया है. एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान लगभग पांच घंटे तक मुख्य भवन और अन्य हिस्सों की वीडियोग्राफी की गई. इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर को कोर्ट में पेश की जाएगी. मस्जिद के इंतजामिया कमेटी के सदस्य जफर अली को भी कोर्ट ने समन जारी किया है.
मस्जिद के अंदर केवल फोटोग्राफर और कैमरामैन को प्रवेश की अनुमति दी गई
सर्वेक्षण के दौरान दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मौके पर मौजूद थे. मस्जिद के अधिवक्ता और इंतजामिया कमेटी के सदस्य जफर अली ने कहा कि सर्वे के लिए सात दिन का समय निर्धारित था, लेकिन इसे समय से पहले पूरा कर लिया गया. वादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि यह सर्वे कोर्ट के आदेश पर हो रहा है, और यह प्रक्रिया अभी जारी रहेगी. मस्जिद के अंदर केवल फोटोग्राफर और कैमरामैन को प्रवेश की अनुमति दी गई थी.
ये भी पढ़ें: ‘प्राचीन शिव मंदिर में घुसे अराजकतत्वों ने खंडित कीं मूर्तियां’, आक्रोशित लोगों के हंगामे से तनाव के हालात