वाराणसी; उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वाराणसी प्रवास के दूसरे दिन,आज शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया. उप मुख्यमंत्री ने मंदिर के गर्भगृह में बाबा के पावन ज्योर्तिलिंग की आराधना कर उनका जलाभिषेक किया. बाबा का विधि-विधान से दर्शन पूजन किया.
कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर बीते शुक्रवार शाम को वाराणसी शहर में आए उपमुख्यमंत्री ऐतिहासिक सारनाथ स्थित महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में आयोजित मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के 93वें वार्षिकोत्सव में शामिल हुए. उन्होंने बौद्ध अनुयायियों के साथ भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का दर्शन किया. वहीं शाम को उन्होंने भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर उनकी स्तुति की और आशीर्वाद प्राप्त किया. उपमुख्यमंत्री मौर्य का स्वागत बौद्ध भिक्षु सुमितानंद थेरो ने किया
इस दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े भू-भाग का सम्राट होने का गौरव अशोक महान को प्राप्त है. वे भी तथागत बुद्ध की शरण में आए और उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपने पुत्र-पुत्री तथा अन्य लोगों को दूसरे देशों में भेजा. उन्होंने कहा कि तथागत बुद्ध और अशोक के समय बोल-चाल व प्रचार-प्रसार की भाषा पाली थी. गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोध गया में हुई थी लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर उन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया था. तथागत बुद्ध की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने किसी की आलोचना नहीं की.
केशव प्रशाद माैर्य ने कहा कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. हमारे प्रधानमंत्री ने दुनिया की सबसे बड़े संगठन संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में कहा था कि ‘भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है’.
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उन्होंने अपने भाषण में बौद्ध धर्म के स्थानों कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिस्सा और कौशांबी का भी जिक्र किया और वहां के विकास कार्यों के बारे में भी बताया. इस दौरान रॉबर्ट्सगंज के विधायक अनिल मौर्य, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष महेंद्र सिंह और जनरल सेक्रेटरी पी. सीवाली थेरो, विशिष्ट अतिथि ग्येबुल जीग्मे नोमचे, रमेश चंद्र नेगी सहित अन्य बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे.