नई दिल्ली: दिल्ली के प्रमुख सराय काले खां चौक का नाम अब बदलकर बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया है. इस ऐतिहासिक बदलाव की जानकारी शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दी. यह चौक दिल्ली आईएसबीटी के पास स्थित है, जो अब बिरसा मुंडा के नाम से पहचाना जाएगा. इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन दिल्ली के बांसेरा उद्यान में किया गया, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे. गृह मंत्री अमित शाह ने समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “जब सरकार मन में जन कल्याण का उद्देश्य लेकर निकलती है तो जैसे सराय काले खां का विकास किया गया है. ये पार्क इसका उदाहरण है.
#WATCH दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “भगवान बिरसा मुंडा ‘धरती आबा’ के जीवन को हम दो भागों में बांट सकते हैं- 1) आदिवासी संस्कृति की रक्षा, उसके प्रति प्रतिबद्धता और 2) मातृभूमि की स्वतंत्रता, उसकी रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने का जज़्बा। 25 साल की उम्र में… https://t.co/P58oiKNeoL pic.twitter.com/75C9A7S3dR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 15, 2024
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आदिवासी आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा, “भारत के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया. चाहे वह झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र या मध्य प्रदेश हो, इन आंदोलनों का नेतृत्व आदिवासियों ने किया। लेकिन दुर्भाग्य से इन संघर्षों को उचित सम्मान नहीं मिला।” उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार ने 2014 के बाद से इन आंदोलनों और संघर्षों को सराहा है और आदिवासी समुदायों के योगदान को सम्मान देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। 2026 से पहले ये तीन संग्रहालय जनता के लिए खुलेंगे. उन्होंने कहा 75 साल में पहली बार किसी आदिवासी को राष्ट्रपति बनने का मौका मोदी सरकार ने किया है.”
पहले भी नाम बदलने की प्रक्रिया तेज हुई
यह नाम बदलने का कदम कोई पहला उदाहरण नहीं है. उत्तर प्रदेश में 2022 के नगर निकाय चुनावों के दौरान भी कई स्थानों के नाम बदलने की प्रक्रिया तेज हुई थी. लखनऊ के लालबाग तिराहे का नाम बदलकर सुहेलदेव राजभर तिराहा किया गया था और मोहन भोग चौराहा से कल्याणेश्वर हनुमान मंदिर मार्ग तक सड़क का नाम कोठारी बंधु तक सड़क नाम से बदल दिया गया था. इसी तरह, केरल ने भी हाल ही में विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर ‘केरलम’ करने का आग्रह किया गया था. मुख्यमंत्री पी. विजयन ने इसे भाषा और सांस्कृतिक पहचान के महत्वपूर्ण पहलू के रूप में पेश किया.
वहीं, सरकार का यह कदम न केवल आदिवासी नेताओं को सम्मानित करने का प्रयास है, बल्कि यह समाज में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। बिरसा मुंडा जैसे स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी समुदाय के नायक का नाम सम्मानित करने से उनकी संघर्षों और योगदान को नई पीढ़ी के लिए यादगार बनाया जाएगा.