लखनऊ; इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की ‘लास्ट कम फर्स्ट आउट’ (बेसिक शिक्षकों की तबादला नीति) को रद्द करने का आदेश दिया है. बेसिक शिक्षा विभाग ने यह नई तबादला नीति प्राथमिक स्कूलों में टीचर-छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए जून 2024 में लागू की थी. जिसके खिलाफ 21 याचिकाएं दायर हुईं थीं, जिन पर एक साथ सुनवाई करते हुए जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने इसे जूनियर शिक्षकों के साथ भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ करार दिया.
जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने इस फैसला सुनाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का शासनादेश और बेसिक शिक्षा विभाग का सर्कुलर मानक और शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि इस नीति के तहत सिर्फ जूनियर शिक्षकों का ही ट्रांसफर होता था, जबकि सीनियर शिक्षक अपनी तैनाती स्थल पर बने रहते थे, जिससे भेदभाव उत्पन्न हो रहा है.
कोर्ट में राज्य सरकार के वकील ने शासनादेश का बचाव करते हुए दलील दी कि यह नीति शिक्षा के अधिकार और शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए जरूरी है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि ट्रांसफर नीति में केवल सेवाकाल को आधार बनाना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि इससे केवल जूनियर टीचरों पर असर पड़ता है और सीनियर टीचरों के कार्य स्थल में कोई बदलाव नहीं होता.
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कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि इस नीति को बरकरार रखा गया तो भविष्य में हमेशा जूनियर टीचर ही ट्रांसफर होकर नए स्कूलों में जाएंगे, जबकि सीनियर शिक्षक अपनी पदस्थापना पर बने रहेंगे, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत देश के सभी नागरिकों को प्राप्त ‘समानता के अधिकार’ का उल्लंघन है.