नई दिल्ली: केंद्र सरकार मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना लाई है. इस योजना के तहत 8 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले छात्रों को स्थगन अवधि (पढ़ाई करते समय) के दौरान 10 लाख रुपये तक के ऋण पर सामान्य ब्याज दर के मुकाबले 3 प्रतिशत की छूट मिलेगी.
योजना के तहत देश के शीर्ष 860 गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने वाले मेधावी छात्रों को शिक्षा ऋण में लाभ मिलेगा. इसका अर्थ है कि हर साल 22 लाख से अधिक छात्र योजना के दायरे में आएंगे. कोई भी छात्र बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बिना किसी जमानत या गारंटर के ऋण ले सकेगा. कवरेज के विस्तार और बैंकों को सहायता देने के लिए 7.5 लाख रुपये तक की ऋण राशि पर भारत सरकार 75 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी देगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केंद्रीय क्षेत्र की योजना को मंजूरी प्रदान की. योजना का लाभार्थी बनने के लिए छात्र को किसी अन्य सरकारी छात्रवृत्ति या ब्याज छूट योजना के तहत लाभ का पात्र नहीं होना चाहिए.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्वनी वैष्णव ने एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि एक सरल, पारदर्शी और छात्र-हितैषी प्रणाली के माध्यम से प्रशासित यह योजना पूरी तरह से डिजिटल होगी. योजना से 2024-25 से 2030-31 के दौरान करीब 7 लाख नए छात्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है और इस आधार पर योजना पर कुल 3,600 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है.
छात्र शिक्षा ऋण के लिए एकीकृत पोर्टल ‘पीएम-विद्यालक्ष्मी’ पर आवेदन कर सकते हैं और साथ ही ब्याज छूट के लिए अनुरोध भी प्रस्तुत कर सकते हैं.
वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य निर्णयों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि खाद्य पदार्थों की खरीद में FCI बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. आज भारतीय खाद्य निगम (FCI) को काफी मजबूत करने का निर्णय लिया गया है. आज कैबिनेट ने FCI में 10,700 करोड़ रुपये की नई इक्विटी पूंजी डालने का फैसला किया है.
इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार