काबुल; अफगानिस्तान में तालिबानी शासन लागू होने के बाद से महिलाओं के खिलाफ कड़े नियम लागू किए जा रहे हैं. ताजा आदेश में तालिबान ने महिलाओं की आवाज को सुनाई देने पर प्रतिबंध लगा दिया है. तालिबान के मंत्री मोहम्मद खालिद हनफी ने यह आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ इबादत के दौरान महिलाओं की आवाज सुनाई नहीं देनी चाहिए.
हनफी ने घोषणा की कि महिलाओं की आवाज को “आवारा” माना जाता है. इसीलिए उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर छिपकर रहने की आवश्यकता है. यहां तक कि कुरान पढ़ते समय भी उनकी आवाज नहीं सुनाई देनी चाहिए. मंत्री ने पूर्वी लोगार प्रांत में एक कार्यक्रम के दौरान इस आदेश की पुष्टि की.
उन्होंने कहा कि महिलाओं को जोर से कुरान नहीं पढ़ना चाहिए, चाहे वे दूसरी महिलाओं के साथ क्यों न हों. इसके साथ ही, महिलाओं को तकबीर और अज़ान कहने की भी अनुमति नहीं है. अफगान सरकार ने महिलाओं के संगीत सुनने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
विदेशों में रहने वाले अफगान कार्यकर्ताओं ने तालिबान के इस आदेश की निंदा की है. ऑस्ट्रेलियाई हजारा एडवोकेसी नेटवर्क की जोहल अज़रा ने कहा कि पिछले महीने से सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आवाज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है.
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अज़रा ने कहा कि तालिबान ने 105 से अधिक आदेशों और फतवों के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों के सार्वजनिक जीवन को नर्क बना दिया है. उन्होंने इन आदेशों को हिंसक और मनमाने ढंग से लागू करने का आरोप लगाया. जोहल अज़रा ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठन को इसको लेकर आवाज उठानी चाहिए.