नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के गिर सोमनाथ में अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट में याचिका दायर कर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई थी, जिस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की.
गुजरात सरकार ने कोर्ट को बताया कि जिस भूमि पर अवैध धार्मिक ढांचों को ध्वस्त किया गया, वह जमीन उनके पास रहेगी और इसे किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नहीं किया जाएगा. बेंच ने कहा, “सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि अगले आदेश तक, संबंधित जमीन का कब्जा सरकार के पास रहेगा.” इस स्थिति के मद्देनज़र, कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं समझी.
यह मामला गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ था, जिसमें मुस्लिम धार्मिक ढांचों को ध्वस्त करने पर यथास्थिति आदेश देने से इनकार कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग अवमानना याचिका पर भी विचार किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य ने अंतरिम रोक के बावजूद बिना पूर्व अनुमति के अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया.
औलिया ए दीन समिति ने गुजरात उच्च न्यायालय के 3 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई थी. समिति की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें दीं कि जिन संरचनाओं को अवैध बताया जा रहा है, वे 1903 से पंजीकृत थीं और विध्वंस की कार्रवाई मनमाने तरीके से की जा रही है.
बता दें, गुजरात सरकार ने सोमनाथ मंदिर के निकट अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चलाया है, जिसमें 57 एकड़ में फैले अवैध ढांचों को हटाया जा रहा है. सरकार का तर्क है कि ये संरचनाएं समुद्र के पास स्थित हैं और अवैध हैं.
इससे पहले सोमनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित सरकारी जमीन वर्षों से अवैध निर्माणों का शिकार हो रही थी. मंदिर के निकट सरकारी जमीन पर स्थित 9 अवैध ढांचों को हटाने की कार्रवाई की गई थी, जिनमें 45 कमरों का इस्तेमाल मुसाफिर खाने के रूप में किया जा रहा था. गुजरात सरकार ने इन ढांचों को हटाने के लिए बुलडोजर अभियान चलाया, जिससे इलाके की 102 एकड़ जमीन को अब तक खाली कराया जा चुका है. इन अवैध ढांचों की जमीन की कीमत 320 करोड़ रुपये आंकी गई है. इस भूमि का उपयोग सोमनाथ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा.
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