उन्नाव; के बीघापुर कोतवाली क्षेत्र में मंदिर की छत ढालने वाले विवाद में एक नया घटनाक्रम सामने आया है. रानीपुर गांव में मंदिर की छत ढलाई को लेकर मुस्लिम महिलाओं ने विरोध किया है. मुस्लिम वर्ग की महिलाओं ने विरोध करते हुए कहा है कि हम मंदिर नहीं बनने देंगे. मंदिर की घंटियों से हमें परेशानी होगी. रानीपुर गांव मुस्लिम बाहुल्य है. इस गांव मे मुस्लिमों के 130 घर हैं तो वहीं हिंदुओं के लगभग 30 घर होंगे. मुस्लिमों की संख्या अधिक होने के कारण मुस्लिम पक्ष हिंदुओं को प्रताड़ित करता राहत हैं. जिस परिवार नें मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था. वह मुस्लिमों पक्ष की तरफ से दी जा रही धमकी की वजह से उन्नाव से लखनऊ पलायन कर गया.
बात दें कि बीघापुर कोतवाली क्षेत्र की चौकी निबई के रानीपुर गांव में शिव बहादुर विश्वकर्मा के घर के सामने एक लगभग 70 वर्ष पुराना शिव मंदिर है. जिस मंदिर में मुंडन, सगाई, व विवाह जैसे कार्यक्रमों की रस्में व धार्मिक आयोजन भी होते हैं. हालांकि, मंदिर के चबूतरे पर चारों ओर दीवारें और खंभे खड़े हैं, लेकिन छत निर्माण का कार्य अभी भी लंबित पड़ा हुआ है. जिस की वजह गांव के मुस्लिम पक्ष के निहाल, अनीस खान, असगर खान, शोएब, सलीम, यूनुस, अच्छे, रईस जैसे बहुसंख्यक इस्लामी कट्टरपंथि लोग हैं. इन इस्लामी कट्टरपंथियों का कहना है कि मंदिर से 100 मीटर दूरी पर हमारी मस्जिद है. अगर वहां पर मंदिर बन गया तो हमारी नमाज पढ़ने में दिक्कत आएगी और वह ऐसा हरगिज बर्दस्त नहीं करेंगे.
समाचार पत्र दैनिक जागरण खबर के अनुसार बताया जा रहा है कि रानीपुर गाँव की मुस्लिम महिलाओं ने मंदिर के नव निर्माण को लेकर खुलेआम विरोध करते हुए, ‘अमर्यादित’ भाषा का प्रयोग किया है. जिस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मुस्लिम पक्ष की महिलाओं का कहना है कि मंदिर में घंटी बजने से उन्हे दिक्कत होगी. इस बीच, मंदिर निर्माण की भावना रखने वाला परिवार मुस्लिम पक्ष के उत्पीड़न से परेशान होकर उन्नाव से लखनऊ पयालन करने के लिए मजबूर हो गया. हालाँकि यह पलायन स्थाई है, या अस्थाई, इस बात की अभी कोई जानकारी नहीं लग पाई है.
वहीं, इस पूरे मामले में प्रशासन का रवैया पहले की तरह ही सुस्त है. प्रशासन मामले को शांत व दबाने में लगा हुआ है. एसडीएम सदर क्षितिज द्विवेदी का एक बयान आया था. जिस में उन्होंने जमीन को लेकर किसी समस्या की बात से इन्कार किया है. एसडीएम ने बताया कि मंदिर की विवादित जमीन पैमाइश में आबादी की जमीन निकली है. चबूतरा आबादी की जमीन पर बना हुआ है, तो किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है. हालाँकि अभी मंदिर की छत न ढालने देने को लेकर कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है.
इस मामले में दैनिक जागरण ने एएसपी अखिलेश सिंह का भी पक्ष छापा है. एएसपी ने बताया कि मंदिर की छत ढालने को लेकर कोई अनुमति नहीं ली गई है. अगर अनुमति मांगी जाती तो मंदिर की छत बनने से कोई नहीं रोक सकेगा. वहीं साथ में यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष के किसी भी भड़काऊ बयान देने की जानकारी हमारे पास नहीं हैं.
मामले को क्यों अनदेखा कर रहा है प्रशासन?
ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पुलिस प्रशासन मामले को दबाते हुए दिख रहे हैं. बीघापुर कोतवाली के एसएचओ ने ऑपइंडिया से बातचीत में कहा की दोनों पक्षों मे किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं है. लेकिन ऑपइंडिया की टीम ने जब सीओ के बयान को लेकर बात की, तो उन्होंने स्वीकार किया कि मामला 7-8 अक्टूबर 2024 का है. 32 लोगों की पाबंदी की गई है, जिसमें 26 मुस्लिम व 6 हिंदू है.
हालाँकि उन्नाव पुलिस ने बताया कि ये मामला 15 दिन पुराना है, मामला पुलिस के संज्ञान में है. वहीं एसडीएम सदर क्षितिज द्विवेदी ने जमीन को लेकर किसी समस्या की बात से इन्कार किया है. यह पूरा घटनाक्रम यह बताता है कि पुलिस और प्रशासन कैसे मामले को जान-बूझकर अनदेखा कर रहे हैं. वहीं एसडीएम एक तरफ बयान देते हैं कि जमीन को लेकर किसी समस्या की जानकारी नहीं है. वहीं दूसरी तरफ जमीन की पैमाइश की बात करते हैं. यहाँ पर सवाल यह है कि अगर शिकायत ही नहीं हुई, तो पैमाइश कैसी? वहीं, एएसपी कहते हैं कि मंदिर निर्माण की अनुमति माँगी गई, तो अनुमति मिलने के बाद मंदिर का निर्माण कोई रोक नहीं पाएगा.
खैर, ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि मंदिर बनता है या इस्लामी कट्टरपंथी अपनी एकजुटता के दम पर मंदिर के निर्माण कार्य को रोक देंगे. फिलहाल यहां सबसे पहले जरूरत है प्रताड़ित परिवार के सुरक्षा की, जिसे पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है.