नई दिल्ली- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने केंद्रशासित प्रदेशों और राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखकर मदरसा बोर्ड को दी जाने वाली फंडिंग बंद करने की सिफारिश की है. आयोग ने बीते शनिवार को सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और प्रशासकों को ये निर्देश जारी किये हैं. यह निर्देश ‘धर्म के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे’ शीर्षक वाली रिपोर्ट से जुड़ा है।
आरटीई अधिनियम 2019 के तहत मौलिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए मदरसों के अलावा दूसरे स्कूल में दाखीला दिए जाने की बात कही है. इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने एक रिपोर्ट भी जारी की है. इस रिपोर्ट में NCPCR ने दावा किया है 2023-24 में लगभग 11 लाख से अधिक बच्चे बाल-विवाह के प्रति संवेदनशील थे. जिन्हें एनसीपीसीआर ने बाल विवाह से बचाने के लिए ऐहतियाती कदम उठाए. इस रिपोर्ट में 11 चैपटर्स हैं. ये रिपोर्ट मदरसों की ऐतिहासिक व्यवस्था और बच्चों शैक्षिक अधिकारों पर प्रभाव डालती है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पत्र लिखते हुए ये सिफारिश की है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों को मिलने वाली सरकारी फंडिंग को बंद कर दिया जाए. इतना ही नहीं पत्र में ये भी लिखा की मदरसा बोर्ड को ही बंद कर देना चाहिए.
वहीं NCPCR यानि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का यह भी कहना है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसा से निकालकर आरटीई अधिनियम 2009 के अनुसार, सही समय के साथ अच्छी शिक्षा दी जाए. इस बात को सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है. NCPCR का यह भी कहना है केवल बोर्ड या यूडाइस कोड होने का मतलब ये नहीं है कि हर मदरसा आरटीई अधिनियम का पालन करता है.
बात दें, वर्ष 2021 में आयोग ने अल्पसंखयक समुदायों के बच्चों की शिक्षा पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के संबंध में अनुच्छेद 15(5) के तहत छूट के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में यह बताया कि मदरसा जैसे धार्मिक संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को भारत के संविधान द्वारा दिए गए शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार का लाभ बिल्कुल नहीं मिल रहा है. शिक्षा का अधिकार एक्ट, 2009 बच्चों को यह अधिकार प्रदान करता है और कक्षा III, V और VIII के लिए ओपन स्कूलिंग की शिक्षा के अधिकार के साथ सीधे टकराव में है. देश में लगभग 15 लाख स्कूल हैं और सरकार ने बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने के लिए हर 1-3 किलोमीटर पर स्कूल स्थापित किए हैं. अगर कोई भी राज्य सरकार किसी क्षेत्रों में स्कूल को मान्यता नहीं प्रदान कर रही है तो NIOS छात्रों को ओपन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने विकल्प प्रदान करेगी.
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