लखनऊ: यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव विपक्षी गठबंधन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. ये उपचुनाव न केवल राज्य के लिए बल्कि भारत की राजनीतिक समीकरणों के लिए भी अहम माना जा रहा है. इंडी गठबंधन ने इन उपचुनावों को अपनी ताकत साबित करने का एक अवसर माना है. यही कारण है सपा के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी भी जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई है.
राजनीति के जानकारों का कहना है कि ये उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा निर्धारित करेगा. परिणामों के आधार पर ही भविष्य की राजनीति का आंकलन किया जा सकता है. हालांकि, सपा और कांग्रेस के बीच इस उपचुनाव में गठबंधन होगा या नहीं इस पर दोनों दलों की ओर से अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने जरूर सपा के सामने 5 सीटों की मांग रख दी है. लेकिन इस पर सपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
सपा-कांग्रेस के बीच सहमति की कमी
अगर यह कहा जाए कि अभी तक उपचुनावों में गठबंधन को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच सहमति की कमी नजर आ रही है तो यह गलत नहीं होगा. सूत्रों का कहना है कि सपा ने कांग्रेस से हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कुछ सीटें अपने लिए मांगी थीं। लेकिन, इस पर सहमति नहीं बन पाई. हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा. 8 अक्टूबर को वहां हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम भी आ रहे हैं. लेकिन, अब यूपी में कांग्रेस ने सपा से 10 में से 5 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की मांग की है. कांग्रेस ने तो सभी 10 विधानसभा सीटों पर ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ आयोजित करने की योजना तैयार कर ली है. इसी को देखते हुए कांग्रेस द्वारा सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए गए हैं.
5-5 सीटों पर सपा और भाजपा का कब्जा
2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सीटों पर सपा का कब्जा था, जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर में जीत दर्ज की थी. मीरापुर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी ने चुनाव जीता था.
गठबंधन को लेकर कांग्रेस दिखा रही तेजी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सीट बंटवारे को लेकर जानकारी साझा करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर एक बैठक हो चुकी है. राय ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में अपने नेतृत्व और उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को अवगत कराया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि उपचुनाव तक गठबंधन जारी रहने की पूरी उम्मीद है. दोनों पार्टियों की कोशिश भाजपा को हराने के लिए एकजुट रहने की है, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिति में बदलाव लाने की संभावना बन सके.