लखनऊ : उत्तर प्रदेश के अमरोहा में सरकारी बेसिक स्कूल के प्रिंसिपल की आत्महत्या करने की सनसनीखेज वारदात सामने आई है. संजीव कुमार नाम के कम्पोजिट स्कूल के प्रिंसिपल ने प्रधानाध्यापक कक्ष में सोमवार सुबह फांसी लगा ली. स्कूल स्टाफ से मिली जानकारी के मुताबिक प्रिंसिपल संजीव कुमार 9 बजे से पहले स्कूल पहुंच गए थे और अपने कक्ष में खुद को फांसी लगा ली. जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस को स्कूल के एक रजिस्टर में 18 पन्नों का सुसाइड नोट मिला है. इस नोट में उन्होंने अपनी मौत के लिए स्कूल के ही एक शिक्षक दंपति राघवेंद्र सिंह और सरिता सिंह तथा BSA (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) मोनिका को जिम्मेदार ठहराया है. आत्महत्या करने वाले प्रिंसिपल राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक थे.
प्रिंसिपल संजीव कुमार की आपबीती
सुसाइड नोट में संजीव ने लिखा कि उन्हें शिक्षक राघवेंद्र सिंह और उनकी पत्नी शिक्षक सरिता सिंह की मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि ये दंपति उन्हें लगातार गाली-गलौज और मानसिक यातना देते थे. उन्होंने 2 अप्रैल 2019 से हो रही प्रताड़ना का जिक्र करते हुए लिखा कि अब इस दबाव को सहना उनके लिए असंभव हो गया था. उन्होंने अपनी मौत के बाद मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की और विशेष रूप से कहा कि जांच में मुरादाबाद मंडल का कोई भी अधिकारी शामिल न हो.
प्रिंसिपल को साजिश के तहत फंसाने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, राघवेंद्र सिंह और उनकी पत्नी सरिता सिंह ने प्रिंसिपल को झूठे आरोपों में फंसाने की भी कोशिश की थी. स्कूल में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें बच्चों को झाड़ू लगाते हुए दिखाया गया. यह वीडियो संजीव कुमार को बदनाम करने के लिए बनाया गया था. इस वीडियो के बाद प्रिंसिपल के खिलाफ एक नोटिस जारी किया गया था, जो उनकी परेशानी का कारण बना था.
मिड-डे-मील योजना में भ्रष्टाचार का दबाव
वहीं, संजीव के बेटे अनुज सिंह ने बताया कि राघवेंद्र सिंह उनके पिता पर मिड डे मील में गड़बड़ी करने का दबाव बना रहे थे. राघवेंद्र चाहता था कि मिड डे मील के फंड में घोटाला हो और दोनों के बीच पैसा बांटा जाए, लेकिन संजीव कुमार ने इस बात से साफ इनकार कर दिया. इस वजह से भी राघवेंद्र सिंह और उसकी पत्नी ने प्रिंसिपल के खिलाफ साजिशें रचीं.
बेटे अनुज सिंह ने इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. अनुज का कहना है कि अगर उनके पिता ने पहले ही अपनी परेशानी साझा की होती, तो शायद उन्हें इस स्थिति तक नहीं पहुंचना पड़ता. पुलिस ने बेटे की तहरीर पर बीएसए मोनिका, टीचर सरिता और राघवेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.
अमरोहा शिक्षक आत्महत्या मामला:
अंततः मुकदमा पंजीकृत हुआ।
आरोपी,
१. राघवेंद्र सिंह (सह अध्यापक)
२. सरिता (सह अध्यापक)
३. मोनिका (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी)साभार: सोशल मीडिया pic.twitter.com/LqpiT4QeBv
— बेसिक शिक्षा: सूचना और सामग्री (@Info_4Education) October 1, 2024
बीएसए राघवेंद्र सिंह के इशारों पर काम करती थीं – आरोप
सुसाइड नोट में संजीव ने बीएसए मोनिका पर भी आरोप लगाए कि वह राघवेंद्र सिंह के इशारों पर काम करती थीं. उन्होंने कई बार संजीव के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज कराईं और उन्होंने उनकी स्थिति को कमजोर किया. पुलिस ने 18 पन्नों का सुसाइड नोट रजिस्टर भी कब्जे में ले लिया है और जांच जारी है. परिवार और स्थानीय लोग चाहते हैं कि मामले की गहराई से जांच की जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले.
सरकारी स्कूलों में सफाई कर्मियों की लापरवाही
सफाई को लेकर स्कूलों में अक्सर बच्चों या शिक्षकों की तस्वीरें सामने आती हैं. इसका कारण स्कूलों की सफाई के लिए ग्राम में नियुक्त सफाई कर्मियों की हिला हवाली है. चूंकि पूर्व सरकारों में ही बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में तैनात होने वाले अनुचरों (चपरासी) की व्यवस्था अनाधिकारिक रूप से खत्म हो चुकी है. जो स्कूलों में घंटा बाजने से लेकर साफ-सफाई और कागजातों को स्कूल से ब्लॉक तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते थे. लेकिन अब अलग विभागों के समन्वय से नियुक्त होने वाले सफाई कर्मचारी गाँव और ग्राम सभाओं में सफाई तो कर देते हैं पर बसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की सफाई के लिए उनको कोई खास निर्देश नहीं मिलते. कुछ तो सफाई कर्मी के रूप में अधिकारी नियुक्त हुए हैं. जो कभी झाड़ू तक नहीं उठाते. अब जब स्कूलों की सफाई समय पर नहीं होती तो रसोईया, शिक्षक, प्रधानाध्यापक और बच्चे खुद अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए शिक्षा के मंदिर को साफ करते हैं, जिसके बदले उन्हें प्रिंसिपल संजीव कुमार की तरह प्रताड़ना झेलनी पड़ती है.
ये भी पढ़ें: झारखण्ड: कहानी 12 शादियों वाले फिरोज़ आलम की, उसी की 22 साल पुरानी ईसाई बीवी की जुबानी