मथुरा: भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर के विश्वप्रसिद्ध तिरूपति बालाजी मंदिर के महाप्रसादम् (लड्डू) में मांस युक्त घी की मिलावट की रिपोर्ट पर धर्माचार्य देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसे करोड़ों सनातनियों की आस्था के प्रति एक गंभीर अपराध बताते हुए केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट से दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह कृत्य “आत्मा का वध” करने जैसा बताया और लोगों से चुप न रहने की अपील की।
तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट की घटना एक गंभीर शाजिश की ओर इशारा कर रही है, लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं के बाद सनातनियों से शांति की अपेक्षा किसी को भी नहीं रखना चाहिए, सरकार और सुप्रीम कोर्ट से निवेदन है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त करवाई कि जाए ||… pic.twitter.com/ByRzdXtYXI
— Devkinandan Thakur Ji ( सनातनी ) (@DN_Thakur_Ji) September 20, 2024
सनातियों की भावना के खिलाफ गंभीर खिलवाड़
यूएसए में प्रवास के दौरान जारी अपने संदेश में उन्होंने कहा, यह अत्यंत दुखद है कि किसी प्रदेश की सरकार के संरक्षण में इस प्रकार का खिलवाड़ हो रहा है। प्रसाद में जिस प्रकार की मिलावट की बातें सामने आ रही हैं, वह बहुत दुखद हैं। यह किसी भी आज़ाद देश में, किसी सरकार के संरक्षण में, सनातियों की भावना के खिलाफ एक गंभीर खिलवाड़ है।
इसके पीछे कौन लोग हैं ये जानना आवश्यक
महाराज ने यह भी कहा कि तिरुपति बालाजी में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है और इस प्रकार की खबरें सभी सनातनियों के लिए एक बड़ा आघात हैं। उन्होंने कहा कि यह जानना आवश्यक है कि इसके पीछे कौन लोग हैं और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह सवाल उठाया कि, “क्या सनातनियों को इसके बावजूद भी चुप रहना चाहिए, जबकि कहीं जूस में मूत्र मिलाया जा रहा है, भोजन में थूक मिलाया जा रहा है और अब प्रसाद में भी मिलावट की जा रही है?”
सभी सनातनियों से एकजुट होकर आवाज उठाने की अपील
देवकीनंदन महाराज ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि हमें देव पूजा पद्धति का सम्मानित अधिकार दिया गया है, लेकिन यह भी जरूरी है कि हमारी पूजा पद्धति पर अधिकार प्रादेशिक सरकार का नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी मिलावटें न केवल धर्म को बर्बाद कर सकती हैं, बल्कि यह हमारे मूल अधिकारों का भी उल्लंघन है। देवकीनंदन महाराज ने सभी सनातनियों से एकजुट होकर इस गंभीर मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील भी की है।
आक्रोशित संत समाज ने उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई
वहीं, तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की मिलावट के विवाद ने नाराज हरिद्वार के संत समाज ने इसे सनातन धर्म की भावनाओं पर कुठाराघात करार दिया और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें आंध्र प्रदेश और केंद्र सरकार से मांग करनी चाहिए कि प्रसाद की मात्रा को सीमित किया जाए और इस मामले की गहन जांच की जाए।”
स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने इसे धर्म को नीचा दिखाने की साजिश बताते हुए दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की अपील की। काली सेना प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने भी सरकार से तत्कालीन न्यास सदस्यों पर कार्रवाई की मांग की।