नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज सहित अन्य टेलीकॉम कंपनियों द्वारा एजीआर देनदारी को लेकर दायर क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टेलीकॉम कंपनियों की खुली अदालत में मामले की सुनवाई की मांग भी खारिज कर दी है। टेलिकॉम कॉम्पनियों ने एजीआर बकाया के भुगतान के संबंध में कोर्ट के 2019 के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी।
टेलीकॉम कंपनियों का कहना था टेलीकॉम विभाग की ओर से बकाया के लिए की गई गणना में गंभीर त्रुटि है। 24 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर की सरकारी परिभाषा को सही बताते हुए टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ चुकाने का आदेश दिया था। टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि एजीआर में सिर्फ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज आते हैं, जबकि सरकार रेंट, डिविडेंड, संपत्ति बेचने से लाभ जैसी कई चीजों को भी शामिल बता रही थी। लेकिन बेंच ने 2002 में सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का हवाला देते हुए फैसला सुनाया और क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी और कहा कि इसमें उपचारात्मक क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने का कोई आधार नहीं बनता।