नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को महिला डॉक्टरों की नाइट ड्यूटी समाप्त करने के फैसले पर कड़ी फटकार लगाई है। मंगलवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि यह विचार महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण है। बेंच कहा, “आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? “उन्हें किसी रियायत की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सुरक्षा की जरूरत है।” पायलट, सेना जैसे सभी प्रोफेशन में महिलाएं रात में काम करती हैं। इसलिए डॉक्टरों के मामले में ऐसा कोई अपवाद नहीं होना चाहिए।
विकिपीडिया को नाम और तस्वीर हटाने का आदेश
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने विकिपीडिया को आदेश दिया कि मृतक ट्रेनी डॉक्टर का नाम और तस्वीर हटाई जाए, यह कहते हुए कि रेप पीड़ितों की पहचान का खुलासा करना कानून के खिलाफ है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई एक हफ्ते के बाद करने का आदेश दिया है।
सिब्बल का सीधे प्रसारण को रोकने का अनुरोध खारिज
मंगलवार को आरजी कर मामले पर सुनवाई शुरू होने से पहले चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि चूंकि यह सुनवाई लाइव स्ट्रीम की जा रही है, इसलिए कोई भी व्यक्ति बीच में न उठे और न ही शोर करें। इसपर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुनवाई के सीधे प्रसारण को रोकने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने जनहित का मामला मानते हुए खारिज कर दिया।
CBI जांच की स्टेटस रिपोर्ट से संतुष्ट दिखा कोर्ट
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच की प्रगति पर CBI द्वारा प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट पर गौर किया। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच CBI द्वारा प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट से संतुष्ट दिखी। कोर्ट ने कहा अभी जांच की स्थिति का खुलासा करने से जांच प्रभावित हो सकती है।
अपराध स्थल पर कुछ व्यक्तियों की उपस्थिति रही – आंदोलनरत डॉक्टर
वहीं, डॉक्टरों की तरफ से दलील रख रहीं वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि अपराध स्थल पर कुछ व्यक्तियों की उपस्थिति रही है और वह उन व्यक्तियों के नाम CBI को सीलबंद लिफाफे में सौंपने को तैयार हैं, लेकिन वो कोर्ट में इन्हें सार्वजनिक नहीं करेंगी।
डॉक्टरों की मांगों पर सुधारात्मक कार्रवाई करने के निर्देश
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को डॉक्टरों द्वारा दी गई कुछ मांगों पर विचार करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए, जिसमें अस्पतालों में निगरानी समितियों का गठन और शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने जैसी मांगें शामिल हैं। वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा डॉक्टरों ने भी इस बात पर सहमति जताई कि अगर विश्वास बहाली के उपाय लागू किए जाते हैं, तो वे अपनी ड्यूटी पर लौटने के लिए तैयार हैं।