लाइव यूपी टुडे (डेस्क); भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है. वहीं, दुनिया भर में हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है. विश्व के सबसे प्राचीन और सरल भाषा के रूप में पहचान रखने वाली हिंदी का गौरवशाली इतिहास रहा है. 1918 में गांधीजी ने हिंदी को राष्ट्र भाषा कहा था. साथ ही पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा बताया था.
भारत में हिंदी सबसे लोकप्रिय भाषा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देशभर में 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं. वहीं लगभग 90 प्रतिशत लोग हिंदी को समझते हैं. हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1 हजार वर्ष पुराना है. जिसकी उत्पत्ति मध्यकाल में बोली जाने वाली ‘शौरसेनी’ नामक भाषा के अपभ्रंश से हुई. हिन्दी की लोकप्रियता को देखते हुए भारत में इस भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया है.
हिंदी दिवस की शुरूआत कब हुई?
महात्मा गांधी द्वारा 1936 में स्थापित अखिल भारतीय संस्था ‘राष्ट्रभाषा प्रचार समिति’, वर्धा के प्रस्ताव पर 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया. हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए शैक्षिक संस्थाओं में हिंदी दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करने को कहा गया. वाद-विवाद प्रतियोगिता, हिंदी कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी आदि के माध्यम से आम जनमानस में हिंदी के प्रति रुझान बढ़ाया गया.
हिंदी को प्राप्त है राजभाषा का दर्जा
1947 में देश स्वतंत्र होने के बाद हिन्दी को संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर सन 1949 को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया. राजभाषा का जिक्र भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक है. भारत में सभी राजकीय कार्य अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा में किए जाते हैं.
हिंदी शब्द की उत्पत्ति कब हुई?
हिंदी विद्वानों के अनुसार हिंदी शब्द की उत्पत्ति सिंधु से हुई. सिंधु उत्तर भारत की प्रमुख नदी थी. इसी नदी के किनारे विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का उदय हुआ. ईरानी जब भारत आए तो वह सिंधु को हिंदु कह कर संबोधित करते थे. ईरानी अपने अभिलेखों में सिंध को हिंद नाम से संबोधित करते थे. जिससे हिंदी शब्द की उत्पत्ति हुई.
स्वाधीनता की लड़ाई में हिंदी का योगदान
देश की स्वतंत्रता के लिए 1857 से लेकर 1947 तक, हिंदी कवियों और पत्रकारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. तात्कालिक हिंदी साहित्यकारों ने अपने लेखों, रचनाओं से युवाओं में क्रांति की चिंगारी जलाई. जिसके फलस्वरूप पूरे देश में एक नई क्रांति देखने को मिली. उस समय के कवियों और लेखकों ने जैसे की माखनलाल चतुर्वेदी, मैथली शरण गुप्त, सुभद्रा कुमारी चौहान, जगदम्बा प्रसाद मिश्र ने अपनी हिन्दी लेखनी के माध्यम से लोगों के बीच क्रांति की ज्वाला जगाई.
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विश्व में हिंदी का स्थान
हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है. संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका,युगांडा, मॉरीशस, सिंगापुर, न्यूजीलैंड आदि देशों में हिंदी चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है.