प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज में आर्य समाज नाम से संचालित संस्थाओं की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस विनोद दिवाकर ने मानसी व अन्य सहित 42 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की है, वे बालिग हैं, और उन्हें अपनी जान का खतरा है, इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए।
याचिकाओं के अनुसार, सभी ने प्रयागराज के विभिन्न मोहल्लों में स्थित आर्य समाज और अन्य नाम से चल रही संस्थाओं से विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं। ये संस्थाएं खुद को पंजीकृत और आर्य प्रतिनिधि सभा लखनऊ से संबद्ध बताती हैं।
कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने जांच की, जिसके बाद इन प्रमाण पत्रों के सत्यापन में पाया गया कि ये विवाह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कराए गए हैं। साथ ही, प्रमाण पत्रों के साथ जुड़े दस्तावेज़, जैसे आधार कार्ड और शपथ पत्र, फर्जी पाए गए। विवाह पंजीकरण अधिकारी इन्हीं फर्जी दस्तावेजों पर विवाह का पंजीकरण कर रहे हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस प्रकार के विवाहों को मानव तस्करी, यौन उत्पीड़न, और बंधुआ मजदूरी को बढ़ावा देने वाला बताया। कोर्ट ने प्रयागराज पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वे पता लगाएं कि ये विवाह कराने वाली संस्थाएं किन नामों और पतों के साथ किन क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं। उनकी अध्यक्ष, सचिव और पुरोहित, जो शादी कराते हैं, उनकी विस्तृत जानकारी एकत्र की जाए। यह भी पता लगाया जाए कि घर से भागे हुए युवक-युवतियों से ये संस्थाएं किस प्रकार संपर्क करती हैं। विवाह प्रमाण पत्र के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाने में इनका मददगार कौन है? लड़के-लड़कियों को कौन संरक्षण देता है? इन संस्थाओं के वित्तीय लेनदेन की भी जानकारी, की जाए।