लखनऊ: अवैध धर्मांतरण रैकेट के मामले में उत्तर प्रदेश की NIA-ATS स्पेशल कोर्ट ने मौलाना कलीम सिद्दीकी, उमर गौतम सहित 16 आरोपियों को दोषी ठहराया है। आज कोर्ट दोषियों की सजा मुकर्रर करेगा। स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी दोषियों को IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया, जिनमें 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
देशभर में फैला था अवैध धर्मांतरण का जाल
उत्तर प्रदेश ATS की जांच में खुलासा हुआ कि मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम पूरे देश में एक संगठित धर्मांतरण रैकेट चला रहे थे। इनके साथ 14 अन्य दोषियों में प्रकाश रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम, कौशर आलम, भूप्रिया बंधो उर्फ अरसलान मुस्तफा, फराज बाबुल्लाह शाह, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम काजमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, अब्दुल्ला उमर, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी, धीरज गोविंद राव जगताप और सरफराज अली जाफरी शामिल हैं।
इस नेटवर्क का मकसद गरीब और असहाय लोगों को डराकर, बहला-फुसलाकर या दबाव डालकर उनका धर्म परिवर्तन कराना था। उमर गौतम पहले हिंदू था लेकिन उसने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया और धर्मांतरण कराने में सक्रिय हो गया। उसने करीब एक हजार गैर मुस्लिम लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित कराया और उनकी मुस्लिमों से शादी कराई। यह सब दिल्ली के जामिया नगर में स्थित इस्लामिक दावा सेंटर नामक संस्था के जरिये किया जा रहा था। जांच एजेंसियों ने बताया कि धर्मांतरण के लिए विदेशों से हवाला के माध्यम से फंडिंग की जाती थी। ATS ने इस रैकेट के तार बहरीन और अन्य खाड़ी देशों से जुड़े होने का दावा किया, जहां से करोड़ों रुपये का फंड देश में अवैध रूप से भेजा गया था।
सजा का ऐलान आज
कोर्ट ने दोषियों को IPC की धारा 417 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 153ए (समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) 153बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ भाषण देना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करना), 121ए (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध की साजिश), 123 (युद्ध की साजिश की जानकारी छिपाना), और अवैध धर्मांतरण की धाराएं 3, 4, व 5 के तहत दोषी पाया है। इनमें से कुछ धाराओं में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है, जिससे दोषियों को कड़ी सजा मिलने की उम्मीद है।
संगठित साजिश का खुलासा
विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह ने बताया कि दोषियों ने साजिश के तहत देश में धार्मिक उन्माद, दुश्मनी और अस्थिरता फैलाने की योजना बनाई थी। इस साजिश का केंद्र इस्लामिक दावाह सेंटर (IDC) था, जिसका संचालन उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर आलम करते थे। इस सेंटर के जरिए बड़े पैमाने पर धर्मांतरण किया जा रहा था। UPATS ने यह भी बताया कि मौलाना कलीम सिद्दीकी ने वलीउल्लाह ट्रस्ट के नाम से एक अन्य संगठन भी चला रखा था, जो सामाजिक सद्भाव के नाम पर कार्यक्रम आयोजित करता था, लेकिन इसके पीछे धर्मांतरण का मकसद छिपा था।
साजिशों पर अंकुश लगाने के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण होगा
विशेष अदालत का आज आने वाला फैसला अवैध धर्मांतरण के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की मिसाल बनेगा, जो भविष्य में ऐसे रैकेट संचालित करने वालों के लिए एक चेतावनी का काम करेगा। माना जा रहा है, समाज में धार्मिक उन्माद फैलाने और अवैध गतिविधियों के जरिए देश की सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की साजिशों पर अंकुश लगाने के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण साबित होगा।