कोलकाला: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए महिला डॉक्टर के साथ रेप-हत्या की घटना के बाद बंगाल की ममता बनर्जी सरकार चौतरफा घिरी हुई है। अपनी फजीहत होते देख ममता सरकार ने राज्य की विधानसभा में एंटी रेप बिल पेश किया था। जो आज मंगलवार को पास हो गया।
इस नए कानून के तहत जांच एजेंसियों को दुष्कर्म मामले की जांच अधिकतम 36 दिनों के अंदर पूरी करनी होगी। यदि पीड़िता की मौत होती है या वह कोमा में जाती है तो दोषी को 10 दिनों के अंदर फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है। इस बिल को राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।
इसके साथ ही रेप-गैंगरेप के दोषियों की बिना पैरोल के उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। जांच एजेंसियों को रेप मामले की जांच 21 दिनों में पूरी करनी होगी। जिसे 15 दिनों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। इस बिल में हर जिले में ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ गठन करने का प्रावधान किया गया है। जिसकी निगरानी सीओ स्तर का अधिकारी करेगा।
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस को ‘अपराजिता वुमन एंड चाइल्ड बिल 2024’ नाम दिया है। जिसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल क्रिमिनल लॉ एंड अमेंडमेंट बिल में बदलाव कर महिलाओं-बच्चों से जुड़े रेप और यौन शोषण मामलों में दोषियों को सख्त व कम समय में सजा दिलाना है। जिसके प्रदेश में ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके।
मौजूदा समय में ऐसे मामलों में 14 साल तक की सजा का प्रावधान है। सजा सुनाए जाने के बाद दोषी की सजा माफ भी की जा सकती है। साथ ही उसकी सजा को कम भी किया जा सकता है और पैरोल भी मिल सकती है। हालांकि दोषी को 14 साल जेल में बिताने होंगे।
बंगाल सरकार द्वारा पेश किए गए ‘अपराजिता वुमन एंड चाइल्ड बिल 2024’ में भारतीय न्याय संहिता के अनुच्छेद 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) व 124 (2) में बदलाव का का प्रस्ताव है। जिसमें दुषकर्म की सजा, दुष्कर्म और हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, आदतन अपराध, पीड़िता की पहचान उजागर करना व एसिड अटैक मामले शामिल है।
यह भी पढ़ें: कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-हत्याकांड: मुख्य आरोपी संजय रॉय को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया, CBI जांच में हुये चौंकाने वाले खुलासा
बिल में भारतीय न्याय संहिता की धारा 65(1), 65 (2) और 70 (2) को हटाने का प्रस्ताव किया गया है। जिसमें 12, 16 और 18 साल की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने पर अलग-अलग सजा का उल्लेख किया गया है। बंगाल सरकार ने अपने बिल में ऐसे मामलों में दोषियों को एक समान सजा देने का प्रावधान किया है।