कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने निर्देशक सनोज मिश्रा की फिल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ की रिलीज पर किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। फिल्म शुक्रवार 30 अगस्त को रिलीज़ होनी है। फिल्म पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ता राजीव कुमार झा ने PIL दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि फिल्म के रिलीज होने से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
फिल्म देखी नहीं तो सांप्रदायिक दृश्य कैसे हैं ?
आज हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता का दावा था कि फिल्म में कुछ सांप्रदायिक दृश्य हैं जो सौहार्द को प्रभावित कर सकते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उन्होंने फिल्म देखी है, जिसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने फिल्म नहीं देखी है क्योंकि यह अभी रिलीज नहीं हुई है।
फिल्म के रिलीज़ होने के बाद कोर्ट आयें – HC
कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार फिल्म की रिलीज़ पर रोक नहीं लगाई जा सकती। यदि सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को मंजूरी मिलती है, तो इसे रिलीज़ होने से नहीं रोका जा सकता। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि फिल्म के रिलीज़ होने के बाद किसी दृश्य पर आपत्ति होती है, तो याचिकाकर्ता उसे कोर्ट के समक्ष रख सकते हैं।
फिल्म में रोहिंग्या, अवैध घुसपैठ और ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दों का बेबाकी से चित्रण
बता दें फिल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ में रोहिंग्या शरणार्थियों, अवैध घुसपैठ और ‘लव जिहाद’ जैसे संवेदनशील मुद्दों का बेबाकी से चित्रण किया गया है। निर्माता ने इस बात पर जोर दिया कि फिल्म का इरादा उन महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालना है जिन्हें लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है। वहीं, ये फिल्म के ट्रेलर रिलीज के बाद से ही विवाद में है। ट्रेलर रिलीज के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने निर्देशक सनोज मिश्रा पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।